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Tuesday, May 7, 2019

राजस्थान के वो 18 गांव जहां अक्षय तृतीया पर मनाया जाता है शोक, पसरा रहता है पूरे इलाके में सन्नाटा

सवाई माधोपुर। वैसे तो राजस्थान में अक्षय तृतीया ( akshaya tritiya 2019 ) का विशेष महत्व है। अक्षय तृतीया ( About Akshay Tritiya ) का दिन शादी व अन्य मांगलिक कार्यों में सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस अवसर पर पूरे देश में बड़ी संख्या में मांगलिक कार्य होते है, लेकिन प्रदेश के विभिन्न इलाकों से इतर सवाई माधोपुर के चौथ का बरवाड़ा व उससे जुड़े 18 गांव में अक्षय तृतीया पर किसी तरह का कोई मांगलिक कार्य नहीं होता है। यहां तक की लोग घरों में सब्जियां भी नहीं बनाते है। सालों से चली आ रही यह परंपरा आज भी कायम है।


जहां पर यदि कोई शादी होती है तो बारात एक दिन पहले या एक दिन बाद में जाती है तथा अक्षय तृतीया के दिन पूरे क्षेत्र में सन्नाटा रहता है।


यह है कारण
अक्षय तृतीया ( Akha Teej ) के दिन मांगलिक कार्य नहीं होने तथा शोक मनाने की परंपरा सालों पुरानी है। इतिहासकार एवं जानकारों के अनुसार अक्षय तृतीया पर चौथमाता मंदिर में सैकड़ों नव विवाहित दुल्हा दुल्हन माता के दर्शनों के लिए आए थे। मंदिर में नवविवाहित जोड़ों की संख्या अधिक होने के कारण दर्शन के समय नवविवाहित जोड़े आपस में बदल गए। इससे वहां पर गलतफहमी में हंगामा हो गया। हंगामा इतना बढ़ा कि मारपीट व खूनखराबे की नौबत आ गई। इसी दौरान दूल्हों के पास कटार व तलवार निकलने से खूनी संघर्ष शुरू हो गया। कई नवविवाहित जोड़ों की मौत हो गई। जिनके कुछ स्मारक आज भी खंडहर अवस्था में चौथमाता खातालाब के जंगलों में है। ऐसे में इस दिन के बाद से आज तक अक्षय तृतीया पर बरवाड़ा व 18 गांवों में शोक मनाया जाता है।

 

-चौथ का बरवाड़ा में अक्षय तृतीया पर नहीं होते मांगलिक कार्य
-800 साल पहले हुई घटना का आज भी मना रहे शोक
-अक्षय तृतीया पर चौथ का बरवाड़ा में सुबह से पसरा सन्नाटा
-चौथ का बरवाड़ा सहित 18 गांव मना रहे हैं शोक



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