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Tuesday, May 7, 2019

कुछ नहीं कर पाया चुनाव आयोग, यहां 68 जने डाल गए फर्जी वोट

कोटा/रावतभाटा.

चित्तौडगढ़ संसदीय क्षेत्र में हाल ही हुए मतदान में चुनाव आयोग की सख्ती के बावजूद 68 जने फर्जी वोट डाल गए। असली मतदाताओं से शिकायत मिलने के बाद निर्वाचन विभाग को टेंडर वोट डलवाकर खानापूर्ति करनी पड़ी। संसदीय क्षेत्र में शामिल बेगूं, कपासन, निम्बाहेड़ा, बड़ीसादड़ी, चित्तौडगढ़, मावली व वल्लभनगर समेत आठ विधानसभा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव 2019 में 68 मतदाताओं के फर्जी वोट डल जाने के बाद असली मतदाता संबंधित मतदान केन्द्र पर वोट डालने पहुंचे तो पीठासीन अधिकारी ने टेंडर वोट डलवाए। बेगंू विधानसभा क्षेत्र में रावतभाटा उपखंड क्षेत्र में एक, गंगरार क्षेत्र में दो, बेगूं क्षेत्र में चार समेत कुल 7 मतदाताओं के फर्जी वोट डाले जाने का मामला सामने आया है। विधानसभा चुनाव 2018 में रावतभाटा क्षेत्र में पांच, गंगरार क्षेत्र में दो व बेगूं क्षेत्र में दो समेत कुल 9 फर्जी वोट डलने पर पीठासीन अधिकारी ने असली मतदाता से टेंडर वोट डलवाए थे। रोचक तथ्य यह भी है कि फर्जी मतदान तब हो गया, जब चुनाव आयोग ने मतदान के दौरान फोटो युक्त मतदाता पहचान पत्र सहित 11 दस्तावेज में से कोई देखकर ही वोट देने दिया।

कहां कितने पड़े फर्जी
जानकारी के अनुसार रावतभाटा के कोटड़ा व बेगूं छांवडिय़ा में एक-एक,
केरपुरा में 3 तथा गंगरार तुम्बडिया व लालस मतदान केन्द्र पर दो-दो फर्जी वोट पड़े।

विधानसभा चुनाव का तोड़ा रिकॉर्ड
पांच माह पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में बेगूं विधानसभा क्षेत्र में कुल 9 लोग फर्जी वोट दे चुके है। इनमें रावतभाटा उपखंड अंतर्गत मतदान केन्द्र न्यू कम्यूनिटी सेंटर अणुप्रताप कालोनी उत्तरी भाग, पुलिसथाने के पास नवीन कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय, श्रीपुरा स्कूल में एक-एक ने तो डेमसाइड स्कूल के दक्षिणी भाग में दो समेत पांच ने, बेगूं क्षेत्र में मंडावरी स्कूल पश्चिमी भाग, धूलखेड़ा स्कूल समेत दो ने तो गंगरार क्षेत्र में सोनियाना स्कूल दक्षिणी भाग, रूपपुरा स्कूल समेत दो फर्जी लोगों नेे वोट डाले। उनके बाद असली मतदाता की शिकायत पर 9 मतदाताओं से उनसे टेंडर वोट डलवाए गए।

ये होती है टेंडर वोट की प्रक्रिया
टेंडर वोट वो होते हैं, जो किसी अन्य द्वारा किए गए फर्जी मतदान के बाद असली मतदाता की ओर से डाले जाते हैं। किसी केन्द्र पर फर्जी मतदाता वोट डाल जाता है। इसके बाद असल मतदाता यह दावा करे तो पीठासीन अधिकारी ईवीएम की बजाय उसे बैलेट पेपर देता है। इसमें उम्मीदवार के नाम के सामने मतदाता मार्क लगा स्टेपल कर लिफाफे में डाल देता है। उस मत की गिनती अन्य मतों के साथ नहीं होती है। परिणाम की घोषणा के बाद कोई उम्मीदवार अदालत में याचिका दायर करें, तभी टेंडर वोट गिने जाते हैं।



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