कोटा. मोबाइल यूजर्स को बेहद सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि प्राइवेट मोबाइल कम्पनियां यूजर्स की अनुमति के बिना बेहद गोपनीय तरीके से मोबाइल नम्बर ( Mobile Number ) अन्य कंपनियों में पोर्ट ( Mobile number portability ) कर रहे हैं। इसका पता mobile recharge करवाने पर ही चलता है। प्राइवेट मोबाइल ऑपरेटर्स ( Private mobile operators ) लाखों किमी दूर बैठ कर ऐसे हैरतअंगेज फ्रॉड का अंजाम दे रहे हैं। इसके लिए वे लैपू को हथियार बना रहे हैं। बता दें, लैपू हाई लेवल का नेटवर्क ऑपरेटिंग और सपोर्ट सिस्टम है। इस तकनीक की मदद से आपको भनक तक नहीं लगती की आपका मोबाइल नम्बर कब किस कम्पनी में पोर्ट हो गया। ऐसे में जब रिचार्ज करवाते हैं तो इसकी पोल खुलती है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। उपभोक्ताओं को तोडऩे के लिए मोबाइल कंपनियों के बीच हाई लेवल की टेक्निकल वॉर छिड़ी हुई है।
सरकारी उपेक्षाओं की शिकार हो रही सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल ( BSNL ) के उपभोक्ताओं पर अब प्राइवेट मोबाइल ऑपरेटर्स 'डाका' डालने में जुट गए हैं। उपभोक्ताओं की मर्जी के बगैर ही निजी कंपनियों के डिस्ट्रीब्यूटर्स उनका मोबाइल नंबर पोर्ट कर रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि नंबर पोर्ट होने से पहले बीएसएनएल के उपभोक्ताओं को इसकी भनक तक नहीं लग रही।
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उपभोक्ताओं को तोडऩे के लिए मोबाइल कंपनियों के बीच हाई लेवल की टेक्निकल वॉर छिड़ गई है। मोबाइल की दुनिया के जानकार शनिवार को उस वक्त हैरत में पड़ गए जब बीकानेर में बैठे एक निजी मोबाइल कंपनी के डिस्ट्रीब्यूटर ने कोटा में मौजूद बीएसएनएल के उपभोक्ता अरविंद जैन का नंबर उनकी इजाजत के बिना पोर्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। मोबाइल नेटवर्र्किंग के जानकार जैन को जैसे ही इसकी भनक लगी, उन्होंने कंपनी से शिकायत करने के साथ ही पुलिस कार्रवाई भी शुरू कर दी।
'लैपू' बना नई जंग का हथियार
दूरसंचार कंपनियां अपने डिस्ट्रीब्यूटर्स और डीलर्स को नंबर पोर्ट करने की रिक्वेस्ट डालने के लिए एक विशेष मोबाइल 'लैपूÓ देती हैं। इसमें हाई लेवल का नेटवर्क ऑपरेटिंग और सपोर्ट सिस्टम इंस्टॉल होता है। इस लैपू के जरिए मोबाइल नंबर पोर्टबिलिटी की रिक्वेस्ट मिलने के बाद प्रक्रिया को पूरा करने के लिए मोबाइल कंपनी इस रिक्वेस्ट को कमांड सेंटर फॉरवर्ड करती है। जहां से कन्फर्मेशन लेने के लिए मोबाइल कंपनियां उपभोक्ता के नंबर पर यूनिक पोर्टिंग कोड (यूपीसी) भेजती हैं। इसमें शुरुआती दो शब्द मोबाइल कंपनी और राज्य की पहचान होते हैं और बाकी के पांच अंकों का यूनिक कोड़ होता है। चौंकाने वाली बात यह रही कि अरविंद जैन के मोबाइल को पोर्ट करने की कोशिश करने वाली निजी मोबाइल कंपनी ने इस कोड़ को भी तोड़ डाला और कस्टमर कन्फर्मेशन के बिना ही पोर्टिबिलिटी की प्रक्रिया आगे बढ़ा दी।
मचा हड़कंप
जैन ने बताया कि जब वह शिकायत लेकर निजी कंपनी के दफ्तर गए तो पहले उन्हें टरकाने की कोशिश की गई, लेकिन उनके अडऩे के बाद उनकी कंप्लेंट बड़े अधिकारियों को भेजी गई। हाईलेवल कस्टमर फ्रॉड का खुलासा होते ही कोटा से लेकर बीकानेर तक हड़कंप मच गया। निजी मोबाइल कंपनी ने आनन फानन में फ्रॉड को अंजाम देने वाले बीकानेर के डिस्ट्रीब्यूटर का लैपू ब्लॉक कर पोर्टिबिलिटी प्रक्रिया रद्द कर दी। हालांकि बीएसएनएल के आला अधिकारी पूरे मामले की जानकारी मिलने के बाद भी चुप्पी साधे बैठे रहे। जैन ने बताया कि उन्होंने गुमानपुरा थाने में निजी मोबाइल कंपनी के डिस्ट्रीब्यूटर और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की तहरीर दी है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
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