कोटा. चूल्हे में सीकी हुई रोटी बेशक बेहद स्वाद भरी हो सकती है, लेकिन इस रोटी को ममता भरे हाथों से तैयार करने वाली मां, भाभी, व पत्नी की सेहत को यह चूल्हा बिगाड़ भी सकता है। एक सर्वे में सामने आया है कि भोजन पकाते समय चूल्हे से निकलने वाला धुंआ हमारे लिए प्यार से भोजन बनाने वाली गृहणियों का दमघोट कर उन्हें अस्थमा, दमा का रोगी बना रहा है।
Allergic बेशक वंशानुगत हो सकती है, लेकिन दौड़भाग की इस जिंदगी में बाहरी प्रदूषण सेहत के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। खास तौर पर महिलाओं पर किए गए सर्वे में सामने आया है कि घरेलू ईंधन से होने वाला प्रदूषण गृहणियों को प्रभावित कर रहा है।
ऐसे किया गया सर्वे
आईएमए के सचिव व श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ केवल कृष्ण डंग के अनुसार शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में 470 अस्थमा रोगी महिलाओं पर दमा Asthma को लेकर एक सर्वे किया गया। इन महिलाओं का एक्स रे किया गया, स्पीरोमेट्री व फीनो टेस्ट किया गया। जो कि अस्थमा निर्धारण के लिए जरूरी है। जांच प परीक्षण के साथ इन महिलाओं से कुछ प्रश्न किए जैसे घर में गैस है या नहीें, भोजन किसमें बनाते हैं। घर में चूल्हा है, धूम्रपान करती है या नहीं, क्या अक्सर जुकाम रहता है। क्या कभी पहले चूल्हे का इस्तेमाल किया सरीखे प्रश्न किए गए।
....तो यह आया सामने
470 महिलाओं में से 48 फीसदी अस्थमा रोगी महिलाएं गांव की रही।शेष शहरी। 470 में से 98 फीसदी महिलाओं के घरों में गैस कनेक्शन हैं। 470 में से 38 महिलाएं अब भी चूल्हे में भोजन तैयार कर रही है। villages में रहने वाली 255 महिलाओं में से 148 यानी 58 फीसदी महिलाएं चूल्हे का इस्तेमाल कर रहीं हैं। शहरी परिवेश में 207 महिलाओं में से महज 17 महिलाओं ने बताया कि वे आज भी चूल्हे का इस्तेमाल कर रही है। खास बात यह भी देखी गई कि 470 महिलाओं में से कम से कम 20 साल तक चूल्हें में खाना पकाया। सर्वे में महज दो फीसदी महिलाएं धूम्रपान करती थी।
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