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Tuesday, August 6, 2019

जम्मू-कश्मीर: पांच अगस्त की वो सुबह बहुत कुछ कह रही थी

कुंदन गौतम
कोटा/कटरा. कोटा जिले के सुकेत निवासी अपने चचेरे भाई गौरव गौतम व दोस्त नितेश वर्मा के साथ जब 3 अगस्त को सुबह 6 बजे मां वैष्णो देवी के दर्शन की अभिलाषा के साथ जम्मू-तवी ट्रेन से कोटा से यात्रा प्रारंभ की तो मन केवल 'मांÓ की भक्ति में रमा था। हम पहली बार वहां जा रहे थे लेकिन दिलोदिमाग में जम्मू-कश्मीर की वही चिर-परिचित तस्वीर थी जैसी पूर्व में गए परिजनों ने बताई और हर वैष्णो देवी यात्री के मन में होती है।
अगले दिन, यानी 5 अगस्त को सुबह 5 बजे करीब जब हम कटरा पहुंचे तो सामान्य तस्वीर से उलट वहां हर जगह पर भारी सुरक्षा बल दिखा। स्मार्ट फोन पर इंटरनेट गायब था। लोगों से पूछने पर पता चला कि क्षेत्र में धारा 144 लग गई है। इंटरनेट नहीं चल रहा है। थोड़ी चिंतायुक्त जिज्ञासा हुई तो लोगों को कुरेदा। तब स्थानीय लोगों ने भारी फोर्स की तैनातगी के बारे में बताया, साथ ही संभावना जताई कि 'कुछ बड़ा होने वाला है।
जानकारी लेने के बाद हमने स्टेशन के पास ही होटल ले लिया। वहां थोड़ा विश्राम कर स्नानादि से निवृत्त हुए। सुबह करीब 10.30 से 11 के बीच हमने कटरा से वैष्णोदेवी मंदिर के लिए यात्रा प्रारंभ की। कटरा से मंदिर तक की पैदल यात्रा में भारी फ़ोर्स देखने को मिली। कई जगह सुरक्षा की दृष्टि से सुरक्षा बलों द्वारा चैकिंग की गई। माता वैष्णो देवी के मंदिर में हमेशा भीड़ देखने को मिलती है परन्तु जब हमने दर्शन किए तब कुछ खास भीड़ नहीं थी। इंटरनेट बन्द होने के कारण हमें कोई जानकारी नहीं मिल पा रही थी। मंदिर परिसर में भी सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद थी। हम कछ समझ नहीं पा रहे थे।
यात्रा पूर्ण कर अगस्त (मंगलवार) को सुबह कटरा उतर आए। होटल में विश्राम आदि के बाद दोपहर में दो तीन घूमने के लिहाज से बाजार में निकले। स्थानीय लोगों से बात की। तब हमें बताया गया कि धारा 370 व 35ए हटा दी गई हैं। यही नहीं, जम्मू-कश्मीर व लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बना दिए गए हैं। रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड व हर जगह सुरक्षा बलों के जवान तैनात थे। हमारे घूमने के दौरान भी चैकिंग तो कई जगह हुई, परिचय पत्र समेत कई दस्तावेज देखे गए लेकिन 'होटल लौटनेÓ या 'नहीं घूमनेÓ को किसी ने कहा। नागरिकों से बात की तो उन्होंने खुद को 'आजादÓ होना बताया। इस बीच हम शाम की तैयारी के लिए वास होटल आ गए। शाम 5 बजे हम कोटा के लिए ट्रेन में बैठ गए। लेकिन मन में रोमांच था, पुलकित थे। सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले के लम्हों के दौरान खुद के जम्मू-कश्मीर में होने व वहां के परिवर्तन को ऐतिहासिक रूप से आंखों से देखने का सोचकर ही मैं और मेरे साथी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।



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