भोपाल. राजधानी में इस साल मानसूनी सीजन खत्म होने के 12 दिन पहले ही बारिश का नया कीर्तिमान बन गया है। बुधवार को हुई 11.9 मिमी बारिश को मिलाकर अब तक भोपाल में 1694 मिमी बारिश दर्ज की जा चुकी है। वर्ष 1980 से 2019 के बीच मौसम विभाग में उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक इससे पहले 2006 में सर्वाधिक 1686.4 मिमी पानी बरसा था।
मौसम विज्ञानी पीके साहा के अनुसार, मानसूनी सीजन 1 जून से शुरू होकर 30 सितंबर तक रहता है। इस साल मानसून करीब एक पखवाड़ा देरी से आने के बावजूद भोपाल में 30 सितंबर से पहले ही बारिश का नया कीर्तिमान बन गया है। साहा ने बताया कि मौसम विभाग के पास 1980 से उपलब्ध आंकड़ों के मुातबिक सबसे अधिक 1686.4 मिमी बारिश 2006 में दर्ज की गई थी, जो एक कीर्तिमान थी। अब यह रेकॉर्ड भी पीछे रह गया है।
प्रदेश में भी 34 फीसदी ज्यादा बारिश
प्रदेश में भी अब तक औसतन 34 फीसदी ज्यादा पानी बरस चुका है। मौसम विभाग के अनुसार, पूरे सीजन में मध्यप्रदेश में 952 मिमी बारिश होना चाहिए, जबकि इस साल अब 1204.1 मिमी बरसात हो चुकी है। वहीं इस अवधि तक की औसत बारिश 899.2 मिमी है।
आज भी बारिश की चेतावनी
प्रदेश में बुधवार को भोपाल समेत सागर, रायसेन, दमोह, नौगांव, सीधी, खजुराहो, बैतूल और जबलपुर सहित कई जिलों में बारिश हुई। मौसम विभाग ने गुरुवार को पन्ना, सागर, छतरपुर, दमोह, विदिशा, राजगढ़, रायसेन, रीवा, सतना, नरसिंहपुर, हरदा, होशंगाबाद, खंडवा में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।
अब भी सिस्टम सक्रिय
- प्रदेश के मौसम को प्रभावित करने मध्यप्रदेश एवं भोपाल के मौसम को प्रभावित करने वाले कारक पहला पूर्वी पश्चिमी द्रोणिका मीन सी लेवल पर सौराष्ट्र से बंगाल की खाड़ी तक जा रही है, जो महाराष्ट्र तेलंगाना कोस्टल आंध्र प्रदेश से होकर गुजर रही है।
- दूसरा हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात बंगाल की खाड़ी एवं उससे लगे दक्षिणी आंध्र प्रदेश तटीय क्षेत्र पर बना हुआ है जो 5.8 किलोमीटर की ऊंचाई तक है, इसके आगामी 12 घंटे के दौरान कम दबाव के क्षेत्र में बदलने की संभावना है।
- इसी प्रकार हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात दक्षिण मध्य प्रदेश में बना हुआ है जो 900 मीटर की ऊंचाई तक है । इन्ही सिस्टमों के चलते बारिश की गतिविधियां प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में चल रही है।
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