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Wednesday, June 13, 2018

हर प्रोजेक्ट बर्बाद किया, फिर भी कुछ अफसरों पर मेहरबानी क्यों?

भोपाल. काम के प्रति गंभीरता नहीं दिखाने पर नगर निगम परिषद ने चीफ सिटी प्लानर विजय सावलकर को मूल विभाग में भेजने का प्रस्ताव पास कर दिया। वहीं आरोपों से घिरे आधा दर्जन अफसर-इंजीनियरों पर परिषद ने मौन साध रखा है। इन पर अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

जबकि इन अफसरों पर लोगों तक नर्मदा का पानी नहीं पहुंचा पाने, सड़क-ब्रिज सहित कई अनियमितताओं के आरोप हैं। गौरतलब है कि सावलकर का एक एमआइसी सदस्य से विवाद होने पर भाजपा पार्षदों को इनके व्यवहार पर आपत्ति थी। प्रस्ताव पर निगम अध्यक्ष सुरजीत सिंह चौहान ने तत्काल निर्णय कर कार्रवाई कर दी।

इन्होंने नहीं निभाया जिम्मा : एआर पंवार : निगम में नवम्बर 2012 से प्रतिनियुक्ति पर। पूरे शहर का जलकार्य इनके पास है। नर्मदा प्रोजेक्ट, कोलार लाइन फेज दो और केरवा से कोलार को पानी देने का प्रोजेक्ट इन्हीं के पास है। दो साल में हर घर तक पानी पहुंचाने का दावा था। अब तक महज 40 फीसदी लोगों तक ही नर्मदा का पानी पहुंच पाया।

आेपी भारद्वाज: नगर निगम में सितंबर 1998 से प्रतिनियुक्ति पर। इन्हें सिटी इंजीनियर प्रोजेक्ट्स बनाया है। वीर सावरकर ब्रिज की डिजाइनिंग में गलतियों पर विवाद हुआ। बीआरटीएस सर्विस रोड का जिम्मा इनके पास है, जो अधूरी है। आर्चब्रिज का निर्माण इन्हीं के जिम्मे है, जो चार साल में पूरा नहीं हो पाया।

पीके जैन- फरवरी 2017 से निगम में प्रतिनियुक्ति पर। अमृत प्रोजेक्ट के तहत निर्माणों में टेंडर्स की गोपनियता भंग हुई। दोबारा टेंडर करने पड़े।10 से 12 साल पुराने कामों का भुगतान कराने फाइल चलाईं, निगम को नुकसान कराया। गैंट्री का फिजिकल वेरिफिकेशन शुरू नहीं करवा पाए।

उद्यान शाखा उपायुक्त सुधा भार्गव अगस्त 2013 से प्रतिनियुक्ति पर हैं और निगम के लकड़ी गोदाम का हिसाब नहीं है। भवन अनुज्ञा शाखा में जुलाई 2003 से प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ एमएस सेंगर, जून 2011 से भवन अनुज्ञा में पदस्थ लालजी सिंह चौहान पर गड़बड़ अनुज्ञा के मामले आए, पर कार्रवाई नहीं हुई।

...तो इन अफसरों की हो घर वापसी
कांग्रेसी पार्षद अमित शर्मा-गिरीश शर्मा ने सोमवार को परिषद में एआर पंवार का नाम लेकर काम में अनियमितता करने का आरोप लगाते हुए कई अफसरों की घर वापसी की बात कही। गिरीश शर्मा ने कहा कि नर्मदा प्रोजेक्ट के हर स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है। ईमानदारी से काम होता तो नर्मदा ही शहरवासियों का गला तर कर देती।

हमने गड़बड़ करने वाले अफसरों को नहीं बक्शा है। कई बार अफसरों का विकल्प नहीं होता है। लेकिन सावलकर से पहले भी हमने कार्रवाई कर अफसरों की घर वापसी कराई है।
आलोक शर्मा, महापौर

परिषद सभी पार्षदों के मत से चलती है। अकेले कोई निर्णय नहीं होता है।
सुरजीत सिंह चौहान, अध्यक्ष नगर निगम परिषद



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