प्रकृति की रक्षा करना सबका धर्म, इसलिए इसका संरक्षण करें - Hindi Breaking Newz T20 For

Breaking

Home Top Ad

Responsive Ads Here

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Wednesday, June 13, 2018

प्रकृति की रक्षा करना सबका धर्म, इसलिए इसका संरक्षण करें

भोपाल. प्रकृति की रक्षा करना हर व्यक्ति का धर्म है, क्योंकि प्रकृति के कारण ही मनुष्य सांस ले रहा है। प्रकृति बचेगी तो मनुष्य बचेगा और प्रकृति नष्ट होगी, तो मनुष्य भी नष्ट हो जाएगा। इसलिए सबसे पहले प्रकृति का संरक्षण करना चाहिए। नदियां, वन, तालाबों की रक्षा करंे, इसकी क्षति को रोकें। समय रहते एेसा नहीं हुआ तो हमें इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।

यह बात भरत नगर स्थित विश्वनाथ मंदिर में चल रही भागवत कथा में पं. मुकेश महाराज ने कही। मंगलवार को उन्होंने गोवर्धन व भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए प्रकृति संरक्षण का संदेश दिया। भगवान श्रीकृष्ण की माखन चोरी लीला का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान सार ग्रहण करते हैं। ड्ढदूध का सार है मन, इसलिए भगवान ने माखन चोरी की।

इसका मतलब यह है कि मनुष्य के शरीर का सार मन है, इसलिए भगवान मन की मांग करते हैं। रामायण में भी वर्णन है, निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा। अर्थात परमात्मा निर्मल मन की मांग करते हैं, इसलिए भगवान कृष्ण का एक नाम मनमोहन भी है। इसका तात्पर्य है, जो सबको मोहित कर ले, मन को अपनी ओर खीच ले। कथा के साथ-साथ संगीतमय भजनों पर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।

विजय नगर में सुदामा चरित्र की प्रस्तुति
लालघाटी स्थित मृत्युंजय महादेव मंदिर में भागवत कथा का मंगलवार को समापन हो गया। कथावाचक पं. चंद्रभान उपाध्याय ने सुदामा चरित्र की प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण भाव के भूखे हैं, जो जिस भाव से प्रभु का स्मरण करता है, उस भाव से उसके कष्ट हरते हैं।

उन्होंने बताया कि बाल सखा सुदामा जब श्रीकृष्ण से मिलने पहुंचे, तब उनके मन में कोई लोभ, लालच नहीं था। वे पांच मुट्ठी चावल लेकर गए थे। श्रीकृष्ण सुदामा के आने की खबर सुनकर खुद दौड़े आए। सुदामाजी को आसन पर बिठाया और स्वयं नीचे बैठे। प्रेम से सुदामा जी द्वारा लाए चावल लेकर खाने लगे। दो मुट्ठी चावल में सुदामा को दो लोक दे दिए।

कहीं रूप चौदस, तो कहीं मनी दिवाली
भोपाल. अधिकमास में शहर के मंदिरों में उत्सवों की धूम है। अधिकमास का बुधवार को समापन हो जाएगा। मंगलवार को शहर के मंदिरों में अलग-अलग धार्मिक उत्सवों मनाए गए। कहीं रूप चौदस, कहीं दिवाली तो कहीं शिवरात्रि उत्सव मनाया।

श्रीजी मंदिर में दिवाली
लखेरापुरा स्थित श्रीजी मंदिर में दिवाली उत्सव मनाई गई। इस मौके पर दीपमालिका के दर्शन हुए। मंदिर में भगवान का आकर्षक शृंगार किया गया। मंदिर के श्रीकांत शर्मा ने बताया बुधवार को अन्नकूट महोत्सव होगा।

फूलों के मंडप में वटेश्वर, मां भवानी
बड़वाले महादेव मंदिर में अधिकमास की महाशिवरात्र पर मंगलवार को शिवरात्रि महोत्सव मनाया गया। मोगरे के फूलों से मंडप सजाया गया। रात्रि ९ बजे आरती के बाद दर्शन का सिलसिला रात्रि तक जारी रहा। इस मौके पर मुरलीवाला ग्रुप की ओर से भजनों की प्रस्तुति हुई।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/2ycW7lw

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages