भोपाल। भोपाल बर्डस संस्था द्वारा माइग्रेंट वाच कार्यक्रम का आयोजन भोज ताल पर किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों को चिन्हित करना था। कार्यक्रम में प्रतिभागियों के रूप में विभिन्न सस्थाओं के स्टूडेंट्स, शोधकर्ता, पक्षी विषेशज्ञों व प्रकृतिप्रेमियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में अलग-अलग समूहों का गठन कर भोजताल के विभिन्न स्थानों पर भेजा गया।
भोज ताल पर लगभग 80 ग्रे लेग गूज देखने को मिल रहे हैं। एक्सपट्र्स का कहना है कि 2017 के बाद प्रवास के दौरान इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। ये पक्षी रोमानिया, तुर्की, रूस तथा नार्थ ईस्ट चीन से प्रवास कर हमारे यहां आते हैं। ये पक्षी करीब आठ से दस हजार किलोमीटर की दूरी तय कर यहां आते हैं। इन्हें यहां आने में करीब दो माह का समय लगता है। एक्सपट्र्स के अनुसार ग्रे लेग गूज पक्षी के लिए राजधानी का मौसम का मुफीद है। इस कारण इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ये नजारा देखकर प्रतिभागी रोमांचित हो गए, जब एक लय के साथ इनका झुण्ड पानी में तैरता और अठखेलियां करता नजर आता है। भारत में ये चिल्का लेक(ओडिशा), भरतपुर(राजस्थान), मैनपुरी(उत्तर प्रदेश) में बड़ी संख्या में आते हैं। भोज ताल में इनका इतनी बड़ी संख्या में दिखना अच्छा संकेत है।
60 प्रवासी की प्रजातियां दी दिखाई
माइग्रेंट वॉच कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने प्रवासी पक्षियों की लगभग 60 प्रजातियों को चिन्हित किया गया। इनमें नॉर्थेर्न पिनटेल, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, कॉमन कूट, रडी शेल्डक, नॉर्थेर्न शोवलर, गड़वाल, यूरेशियन विजियन, कॉमन पोचार्ड, कॉमन टील, ओपन बिल स्टोर्क, पेंटेड स्टोर्क, वुल्ली नेक्ड स्टोर्क, ब्लैक स्टोर्क, ग्लॉसी आइबिस, रेड नेपेड आइबिस, ब्लैक हेडेड आइबिस, ब्लैक टेल्ड गोडविट, बार टेल्ड गोडविट, मार्श सैंडपीपर, ग्रीन शेंक, रेड शेंक, ओस्प्रे, ब्लू थ्रोट, ब्लैक हेडेड बंटिंग, रेड हेडेड बंटिंग, बूटेड वार्बलर, टाइगा फ्लाईकैचर, येलो वैगटेल, वाइट वैगटेल, ब्राउन हेडेड गल्ल, ब्लैक हेडेड गल्ल, ग्रे लेग गूज, लिटिल रिंग प्लोवर आदि प्रमुख है।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2sdDAQx
No comments:
Post a Comment