भोपाल. बड़े तालाब में छलांग लगाकर जान देने वालों की तादाद में हर साल इजाफा हो रहा है, जबकि सुरक्षा और निगरानी घटती जा रही है। व्यवस्थाएं नाकाफी हैं। गोताखोरों ने बताया कि 16 माह में 57 लोगों ने जान देने के लिए छलांग लगाई। इनमें 17 की मौत हो गई।
नौ साल से बतौर गोताखोर काम कर रहे फैज उल्ला खान दावा करते हैं कि गोताखोर की टीम 24 घंटे तैनात रहती है, लेकिन क्षेत्रफल अधिक होने से हर जगह नजर नहीं जा पाती, ऐसे में देरी हो जाती है। प्रशासन यदि तालाब के कुछ इलाके में सीसीटीवी कैमरे लगवा दे तो निगरानी आसान होगी।
फैज बताते हैं कि भोज प्रतिमा से पहले पुल से छलांग लगाकर जान देने के अधिक मामले हैं। लिहाजा, पुल के दोनों ओर जाली लगाई जाए। मालूम हो कि शुक्रवार सुबह भैंसाखेड़ी निवासी लक्ष्मी नामक महिला ने दो बेटियों के साथ शीतल दास की बगिया घाट के पास छलांग लगाकर सुसाइड कर ली थी। तीनों की मौत हो गई थी। इसके बाद से तालाब की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।
अच्छी पहल : जल जीवन रक्षक चौकी
झील संरक्षण प्रकोष्ठ ने बड़ा तालाब के पास जल जीवन रक्षक चौकी खोली है, जिसमें 24 घंटे गोताखोर की टीम रहती है, लेकिन चौकी के नंबर-9424499943, 9425011222, 0755-4287658 का प्रचार-प्रसार नहीं होने से घटना की सूचना नहीं मिल पाती।
दुस्साहस : रोकने पर देते हैं धमकी
केबल स्टे ब्रिज के नीचे बच्चे बेखौफ नहाते हैं। इन्हें कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है। जल जीवन रक्षक दल कर्मचारी मयंक का कहना है कि बच्चों को रोकते हैं, तो वे और उनके परिजन झगड़ा करते हैं। तालाब किनारे नशेडिय़ों ने भी कब्जा जमा रखा है, जो विवाद करते हैं।
इन स्पॉट्स पर हो रहीं घटनाएं
बड़ा तालाब: रेत घाट, राजाभोज प्रतिमा के पास वीआइपी रोड ब्रिज, करबला पंप हाउस, शीतलदास की बगिया घाट, प्रेमपुरा घाट, सुसाइड पॉइंट बन चुके हैं। शीतलदास की बगिया के पास पानी काफी गहरा है।
भदभदा डैम: यहां लोग हादसे का शिकार होते हैं। गोताखोर की टीम घटना की सूचना मिलने पर पहुंचती है, तब तक देर हो जाती है।
छोटा तालाब: खटलापुरा घाट, काली मंदिर के पास अधिकतर सुसाइड की घटनाएं होती हैं। गोताखार टीम नहीं रहती। काली मंदिर घाट पर भी यही हालात हैं।
कलियासोत डैम: अधिकतर नहाने के दौरान घटनाएं होती हैं। शुक्रवार को दो छात्रों की मौत हुई थी। सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता नहीं है।
केरवा डैम: दो साल से मौत के कुएं की तरफ जाने वाले मार्ग में चौकसी बढऩे से घटनाएं कम हुईं। इससे पहले सबसे अधिक घटनाएं इसी डैम में होती थीं।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2Vkj6Xh
No comments:
Post a Comment