कोटा जिले की एक ग्राम सेवा सहकारी समिति में घोटाले ( scam ) को दबाने के लिए व्यवस्थापक व अंकेक्षक ने मिलीभगत कर गलत लेखे तैयार कर दिए। इसका खुलासा सहकारिता विभाग ( cooperative department ) की ओर से करवाई गई जांच में हुआ है। अब घोटालेबाज व्यवस्थापक व अंकेक्षक के खिलाफ मामला दर्ज करवाने की तैयारी कर ली है। मामला है जोरावरपुरा ग्राम सेवा सहकारी समिति का।
Lok Sabha Election 2019: कुछ नहीं कर पाया चुनाव आयोग, यहां 68 जने डाल गए फर्जी वोट
सूत्रों ने बताया कि उप रजिस्ट्रार ने जोरावरपुरा ग्राम सेवा सहकारी समिति की राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम की धारा 55 के तहत जांच केन्द्रीय सहकारी बैंक कोटा की अतिरिक्त अधिशासी अधिकारी पिंकी बैरवा को सौंपी थी। उन्होंने हाल में जांच रिपोर्ट उप रजिस्ट्रार को सौंप दी। इसमें समिति के तत्कालीन व्यवस्थापक ललित नामा को 45 लाख रुपए के गबन का दोषी माना गया है।
Read More: कोटा में देर रात कोल्ड ड्रिंक पीकर लौट रहे दो दोस्तों की हाइवे पर दर्दनाक मौत, तड़प-तड़प कर निकला दम
अंकेक्षक ने छिपाया
जांच रिपोर्ट के अनुसार समिति का वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 का अंकेक्षण राजेश सी जैन एण्ड कम्पनी वल्लभबाड़ी ने किया। अंकेक्षक की ओर से व्यवस्थापक द्वारा किए गए कुल 45 लाख 14 हजार 571 रुपए के गबन को छिपाने के लिए समिति के रेकार्ड के विपरीत गलत लेखे तैयार कर गलत लेखों का अभिप्रमाणन जारी कर दिया। इस कारण अंकेक्षक को भी गबन का सहयोगी माना गया है। गबनकर्ता तत्कालीन व्यवस्थापक ललित नामा एवं गलत लेखों का अभिप्रमाणन कर गबन में सहयोग करने वाले अंकेक्षक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुशंसा की गई है।
OMG: खेत में मिली खून से सनी लाश, धारदार हथियारों से काटी युवक की गर्दन, कोटा में फैली सनसनी
गबन-दर-गबन
समिति के एक गबन की जांच में दोषी पाए जाने पर व्यवस्थापक ललित नामा द्वारा समिति में 15 लाख रुपए जमा करवा गए थे, लेकिन नामा ने इतनी ही राशि स्वयं की अमानत जमा कर वापस निकाल ली। इस प्रकार व्यवस्थापक ने गबन की राशि स्वयं जमा कर एवं वापस निकालकर पुन: गबन कर लिया। अत: 15 लाख रुपए की राशि भी ललित नामा से वसूली योग्य है।
NEET 2019: बेटी की परीक्षा छूटी तो मां की आंखों से बहे आंसू, गश खाकर गिरी छात्रा पहुंची अस्पताल...देखिए वीडियो
ऐसे किया गबन
वर्ष 2015-16 तथा 2016-17 में तीस सदस्यों के खातों में बिना रसीद जारी किए कुल दस लाख 65 हजार 820 रुपए ऋण, सूद व हिस्सा पेटे जमा कर गबन किया गया। इसके लिए तत्कालीन व्यवस्थापक नामा दोषी है। वर्ष 2016-17 में पांच किसानों के खातों में 15120 रुपए फसल खराबा बीमा क्लेम ज्यादा जमा कर व्यवस्थापक ने गबन किया। इसमें तत्कालीन व्यवस्थापक नामा को जिम्मेदार माना गया।वर्ष 2015-16 में कल्चर एनपीके 990 पैकिट स्टॉक में दर्ज नहीं कर गबन किया गया है। इन की राशि 80190 रुपए तत्कालीन व्यवस्थापक ललित नामा से वसूली योग्य है।
जांच रिपोर्ट प्राप्त हो गई है। गबनकर्ता तत्कालीन व्यवस्थापक व गलत लेखे तैयार कर गलत प्रमाण पत्र जारी करने पर अंकेक्षक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए उच्चााधिकरियों को पत्र लिखा गया है।
अजयसिंह पंवार, उप रजिस्ट्रार सहकारी समितियां कोटा
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2Lr7bSK
No comments:
Post a Comment