श्योपुर,
श्री हजारेश्वर मेले में बीती रात्रि को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा सहित आधा दर्जन ख्याति प्राप्त कवियों ने अपने काव्यपाठ से समां बांध दिया। यही वजह है कि आधी रात तक महफिल जमी रही और कवियों ने साहित्य के नवरस बरसाए।
मेला रंगमंच पर मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन के बाद प्रारंभ हुए कवि सम्मेलन में सरस्वती वंदना हुई, जिसके बाद इंदौर से आए कवि अतुल ज्वाला के संचालन में कवियों ने अपनी एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत की और श्रोताओं की दाद पाई। सबसे पहले कोटा से आए कवि देवेंद्र वैष्णव ने हास्य-व्यंग्य की रचनाएं प्रस्तुत की, जिसके बाद नीमच से आई कवियत्रि प्रेरणा ठाकरे अपनी रचनाएं पढ़ी। इस दौरान उनकी संचालक अतुल ज्वाला के साथ मीठी नोंक-झोंक भी हुई। अपने काव्यपाठ में प्रेरणा ने कहा कि सत्य और अहिंसा के पुजारी हैं कायर नहीं, दंभ हमें दंभियों का दलना भी आता है, पाक पी के दूध दोस्ती का मत भूल जाना, फन हमें नाग का कुचलना भी आता है...।
इसके जयपुर से आए वीर रस के कवि अशोक चारण ने अपनी रचनाओं से देशभक्ति का जज्बा जगाया। उन्होंने कहा कि हर जहरीला घंूट कसम से हंसकर पी जाऊंगा, मेरी मौत को मिले तिरंगा, मरके भी जी जाऊंगा...। वहीं धार से आए हास्य कवि जानी बैरागी ने अपनी हास्य-व्यंग की रचनाओं से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। बैरागी के बाद संचालक कर रहे अतुल ज्वाला ने काव्य पाठ किया। उन्होंने कहा कि वो जाहिल हैं, इसलिए साहिल से दूर हैं, कुछ परिंदों को मारकर नशे में मगरूर हैं।इकसे बाद गीतकार विष्णु सक्सैना ने अपने चिरपरिचित अंदाज में श्रंगार की रचानाएं पढ़ी और तालियां बटोरी। सक्सैना ने कहा कि आपके नाम ने ही बंद हिचकियां कर दी, धूप के होठों पर पानी की बदलियां कर दी, हर तरफ फूल है, खुशबू है खुशनुमा माहौल है, आपने जून के मौसम में सर्दियां कर दी। अंत में हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा ने भी अपने चिरपरिचित अंदाज में छोटी-छोटी चुटकियों और टिप्पणियों से खूब हंसाया, तो व्यंगात्मक रचनाओं पर दाद भी पाई।
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