श्योपुर,
जहानगढ़, नाम सुनने से तो कोई रियासत और राजे-रजवाड़ों वाला नगर या कस्बा लगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है, बल्कि ये श्योपुर जिले में एक गरीब आदिवासी परिवारेां की बस्ती है, जहां आजादी के 70 साल बाद विकास ने अपनी एक झलक भी नहीं दिखाई है। बुलेट ट्रेन जैसे कथित विकास के दावों के बीच सुदूर जंगल में स्थिति इस आदिवासी बस्ती जहानगढ़ में आज भी सड़क और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं की दरकार है तो लोग घास-फूंस की झोंपड़ी में निवास करते नजर आते हैं। बावजूद इसके जनता के नुमाइंदें कभी इस गांव में आदिवासियों की खैर-खबर लेने नहीं पहुंचे। जबकि यहां के वाशिंदे हर चुनाव में बढ़-चढ़कर मतदान करते हैं और लोकतंत्र में अपनी भागीदारी निभाते हैं।
जिले के विजयपुर विकासखंड की ग्राम पंचायत पुरा में 455 जनसंख्या वाला ग्राम जहानगढ़ सुदूर जंगल में कूनो नदी किनारे बसा है। पुरा से लगभग 20 किलोमीटर दूर जहानगढ़ विकास से कौसों दूर है। तमाम दावों के बाद भी गांव में अभी बिजली नहीं पहुंची तो पक्की डामरवाली सड़क तो केवल सपना बनकर रह गई है। पक्के आवासों के तमाम दावों के बाद भी यहां के वाशिंदे घास-फूंस की झोंपड़ी में रहते हैं। विशेष बात यह है कि रात में जंगली जानवरों के डर से ग्रामीण बच्चों को घरों के पास बनी लकड़ी की मचानों पर सुलाते हैं। गांव में अधिकांश परिवारों की आजीविका मजदूरी और वनोपज संग्रहण पर निर्भर है, जबकि गांव के कई मजदूर काम की तलाश में पलायन कर जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि दो साल पहले प्रशासन द्वारा बनवाए गए नए राशनकार्डों पर भी अभी तक खाद्यान्न मिलना भी शुरू नहीं हुआ है।
बिना भवन के स्कूल में पढ़ता बचपन
बताया गया है कि गांव में शासकीय प्राथमिक स्कूल तो है, लेकिन इसके लिए भवन नहीं है। जिसके चलते स्कूल की कक्षाएं एक झोंपड़ी में लगती हैं। कक्षा 5 तक के इस स्कूल में 115 बच्चे दर्ज हैं, जिनके लिए महज दो शिक्षक पदस्थ किए हुए हैं। ऐसे में समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है इस बस्ती का बचपन किस तरह प्राथमिक शिक्षा पा रहा है। यहां की आंगनबाड़ी की हालत भी कुछ ऐसी ही है, जिसके पास भी भवन नहीं है।
गांव की ये है पूरी तस्वीर
-लगभग 200 परिवार निवास करते हैं गांव में।
-सहरिया, भील और मोगिया जाति के लोग रहते हैं यहां।
-विधानसभा चुनाव में 370 वोटर थे, जिनमें से 255 ने मतदान किया था।
-20 किलोमीटर दूर है पुरा पंचायत मुख्यालय से जहानगढ़।
-राशन-खाद्यान्न लेने भी पुरा की कंट्रोल दुकान पर आते हैं ग्रामीण।
-कक्षा 5 तक स्कूल है, जिसमें 115 बच्चे और 2 शिक्षक तैनात हैं।
-स्कूल के लिए भवन नहीं है, लिहाजा घास-फूंस की झोंपड़ी में स्कूल लगता है।
-पीएम आवास की सूची में 80 परिवारों के नाम है, लेकिन बने सिर्फ पांच ही हैं।
-गांव के लिए चार साल पूर्व आरइएस ने मिट्टी मुरम सड़क बनाई थी, जिसमें खानापूति हुई।
-गत वर्ष आई कूनो नदी की बाढ़ में गांव के निकट ही आधी सड़क कट गई।
-बिजली लाइन अब डाली जा रही है, लेकिन अभी सप्लाई शुरू नहीं हुई।
-गांव में 200 परिवारों को पानी के लिए पांच हैंडपंप हैं, जिनमें से दो खराब पड़े हैं।
-यदि पांचों हैंडपंप खराब हो जाए तो फिर कूनो नदी के पानी का सहारा है।
गांव में अभी बिजली नहीं पहुंची है। अब लाइन डाली जा रही है, लेकिन उसका काम घटिया हो रहा है। जरा सी आंधी में खंभे टूट रहे हैं। इसके अलावा गांव में सड़क मिट्टी-मुरम वाली है जो भी सही नहीं बनाई गई। यहां स्कूल और आंगनबाड़ी के लिए भी भवन नहीं है।
जमुना प्रसाद मिश्रा
सरपंच, ग्राम पंचायत पुरा
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