
भोपाल. मानसून के दस्तक देते ही घूमने-फिरने के शौकीन निकल पड़ते हैं पिकनिक, एडवेंचर या फिर ट्रैकिंग के लिए। कुछ लोग शांति की तलाश में बाहर निकलते हैं। किसी को रोमांच में जिंदगी का सार नजर आता है।
मानसून में घूमने के लिए मध्य प्रदेश बेस्ट ऑप्शन्स में से एक हो सकता है। इस राज्य के कई ऐसे स्पॉट हैं जो बारिश के मौसम में प्राकृतिक तौर पर सुंदर हो जाते हैं। सेफ्टी और खर्च के लिहाज से भी ये जगहें आपके लिए बेस्ट हो सकती हैं।
राजा भोज के पौत्र के नाम से पड़ा उदयगिरि
उदयगिरि विदिशा से वैसनगर होते हुए पहुंचा जा सकता है। पहाड़ी के पूर्व की तरफ पत्थरों को काटकर गुफांए बनाई गई हैं।
उदयगिरि को पहले नीचैगिरि के नाम से जाना जाता था। 10 वीं शताब्दी में जब विदिशा धार के परमारों के हाथ में आ गया, तो राजा भोज के पौत्र उदयादित्य ने अपने नाम से इस स्थान का नाम उदयगिरि रख दिया।
बादल महल का दरवाजा है खूनी दरवाजा
ऐतिहासिक नगर अशोक नगर टूरिस्ट प्लेस है। बारिश में यहां की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है। मालवा और बुंदेलखंड की सीमा पर बसा ये शहर शिवपुरी से 127, ललितपुर से 37 और ईसागढ़ से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर है। चंदेरी में टूरिज्म के लिहाज से अट्रेक्टिव स्पॉट है चंदेरी का दुर्ग। यह किला बुंदेला राजपूत राजाओं द्वारा बनवाई गई विशाल इमारत है।
किले के मुख्य दरवाजे को खूनी दरवाजा कहा जाता है। यहां मौजूद कौशक महल बेहतर पिकनिक स्पॉट है। यह महल चार बराबर हिस्सों में बंटा हुआ है। इस महल को 1445 ईश्वी में मालवा के महमूद खिलजी ने बनवाया था। कहते हैं कि सुल्तान इस महल को सात खंड का बनवाना चाहता था, लेकिन मात्र 3 खंड का ही बनवा सका। महल के हर खंड में बॉलकनी, खिड़कियों की कतारें और छत की गई शानदार नक्कासियां हैं।

8वीं शताब्दी में बना था ओरछा
टीकमगढ़ जिले के ओरछा शहर का इतिहास 8वीं शताब्दी से शुरू होता है, जब गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज ने इसकी स्थापना की थी। यह मंदिर भगवान राम की मूर्ति के लिए बनवाया गया था, लेकिन मूर्ति स्थापना के वक्त यह अपने स्थान से हिली नहीं। इस मूर्ति को मधुकर शाह के राज्यकाल (1554-92) के दौरान उनकी रानी गनेश कुवर अयोध्या से लाई थीं। चतुर्भुज मंदिर बनने से पहले इसे कुछ समय के लिए महल में स्थापित किया गया। बारिश के समय यह शहर और भी ज्यादा खूबसूरत हो जाता है।
एडवेंचर, टे्रकिंग के लिए फेमस है तवा डेम
तवा बांध तवा और देनवा नदियों के संगम का बना है। यह एक बड़ा बांध है जिसे बनाने में 1958 से 1978 के बीच बनाया गया। बांध का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह होशंगाबाद और हरदा जिलों के हजारों मील लम्बे कृषि क्षेत्र को सिंचाई की सुविधा प्रदान करता है। तवा बांध प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है। यहां का पानी और हरियाली इसे इटारसी पर्यटन का एक शानदार स्थान बनाते हैं। बांध का शांत वातावरण यहां मौजूद प्राकृति सुंदरता को सुंदर बनाता है। तवा बांध जाने के लिए इटारसी और भोपाल से आसानी सड़क मार्ग द्वारा जाया जा सकता है। नर्मदा घाटी परियोजना पर यह तीसरा सबसे बड़ा बांध है। बांध के नजदीक कई एडवेंचर ट्रेकिंग स्पॉट्स हैं और यह जगह एक मशहूर पिकनिक स्पॉट है।
पातालपानी में 300 फीट से गिरता है झरना
इंदौर के पास स्थित इस झरने का दृश्य काफी मनोहारी है। यहां से पानी लगभग 300 फीट की ऊंचाई से कुंड में गिरता है। इस स्पॉट पर हर साल हजारों लोग पिकनिक मनाने आते हैं। बारिश के समय इस पिकनिक स्पॉट पर काफी भीड़ रहती है। युवाओं के साथ-साथ कई परिवार भी इस जगह अपना वीकेंड मनाने आते हैं।
ये भी हैं खास
महादेव की जटा से बहती है धारा
कैरीमहादेव, भोपाल से 25 किमी दूरी है। कोलार रोड से झिरी गांव तक 10 किमी लंबा ट्रैक है। यह सालभर गिरने वाली पानी की धार के बारे में माना जाता है। वहीं केरवा डैम राजधानी के सबसे पसंदीदा स्थलों में से एक है केरवा और कलियासोत डैम। यहां आने वालों में अधिकरतर संख्या कॉलेज के छात्रों और प्रेमी जोड़ों की होती है। इन दिनों यहां बाघ की दहशत के चलते प्रशासन काफी मुस्तैदी दिखा रहा है।
भोजपुर का झरना
भोपाल के पास स्थित भोजपुर में शिवजी का अति प्राचीन और विशाल मंदिर है। इसी मंदिर के पास बेतवी नदी गांव से लगी हुई है। प्रकृति के सौंदर्य से भरपूर इस जगह पर कई लोग पिकनिक मनाने आते हैं। राजधानी के युवाओं का यह सबसे पसंदीदा स्थल है। मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित पहाड़ी के नीचे बेतवी नदी बहती है। पहाड़ से नीचे उतरने को लेकर भी कोई रास्ता नहीं है, लेकिन फिर भी लोग जोश में होश खोकर निचे उतर जाते हैं।
होशंगाबाद का सतकुंडा पिकनिक स्पॉट
सीहोर जिले के बुदनी के पास स्थित सतकुंडा पिकनिक स्पॉट है। यह स्पॉट बेहद खूबसूरत है। यहां लोगों का भारी तादाद में आना-जाना लगा रहता है। इसके अलावा भेड़ाघाट बरेला के समीप जमतरा गांव के पास स्थित भदभदा पिकनिक स्पॉट कॉफी सुंदर है। यहां बारिश में कई लोग अपनी वीकेंड मनाने आते हैं। कई परिवार के साथ आते हैं, तो कई प्रेमी जोड़े भी यहां क्वालिटी टाइम बिताने आते हैं।
मिडघाट का विहंगम नजारा
भोपाल से 65 किमी दूरी पर स्थित मिडघाट ट्रेक पर हरीभरी वादियों और पहाड़ी रास्तों से गुजरते हुए पहुंचा जा सकता है। मिडघाट पर ट्रेन से उतरकर 800 फीट उंचे पहाड़ पर चढ़ाई करना शानदार अनुभव होता है।
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