
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (prime minister narendra modi) पर बनी फिल्म के बाद अब साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर भी एक डाक्यूमेंट्री फिल्म पर भी रोक लग गई है। जबकि इस फिल्म के खिलाफ एक एफआईआर भी दर्ज की गई है। हालांकि चुनाव आयोग में हुई शिकायत से पहले ही इसके ज्यादातर अंश दिखाए जा चुके थे।
समझौता एक्सप्रेस और मालेगांव ब्लास्ट को लेकर बनाई गई इस डाक्यूमेंट्री फिल्म 'भगवा आतंकवाद: एक भ्रमजाल' में साध्वी पर हुए जुल्मों की कहानी बताई गई है। यह फिल्म भोपाल में 12 मई को होने वाले मतदान से पहले यूट्यूब पर रिलीज करने की तैयारी थी।
चुनाव आयोग ने सोमवार को 'भगवा आतंकवाद: एक भ्रमजाल" नामक लघु फिल्म के प्रदर्शन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। कांग्रेस ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को इस फिल्म के रिलीज से पहले शिकायत की थी। सामाजिक संस्था भारत विचार मंच ने भोपाल के एक होटल में इसके प्रदर्शन का ऐलान किया था। इस फिल्म को मुंबई निवासी राजीव पांडे ने बनाया है और भोपाल में लांच किया जाना था। कांग्रेस ने रिलीज से पहले इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की थी। जबकि भारत विचार मंच के विकास पाठक के खिलाफ एमपी नगर थाने में प्रकरण दर्ज किया गया।

बीजेपी को लाभ पहुंचाने का मकसद
कांग्रेस प्रवक्ता जेपी धनोपिया कहते हैं कि फिल्म के प्रदर्शन की अनुमति में टाइटल छिपाया गया। भाजपा प्रत्याशी को चुनाव में लाभ पहुंचाने के लिए फिल्म निर्देशक राजीव पांडे ने यह फिल्म बनाई है।

साध्वी पर टार्चर की दास्तां
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (sadhvi pragya singh thakur) भारतीय जनता पार्टी की तरफ से भोपाल लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाई गई हैं और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। साध्वी को भोपाल से टिकट दिलवाने में संघ का काफी जोर रहा है। इसके अलावा इस फिल्म में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के साथ बीती घटनाएं, टार्चर और दुर्व्यवहार को दर्शाया गया है। साथ ही यूपीए सरकार पर भी निशाना साधा गया कि किस तरह RSS के बड़े नेताओं को लपेटे में लेने की कोशिश हुई और इसका जिक्र फिल्म में किया गया है। साथ ही बम धमाकों में जांच का रुख मोड़ने का प्रयास किया गया। यह फिल्म RSS के इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र की ओर से बनाई गई है। 18 मिनट की इस डाक्यूमेंट्री में साध्वी प्रज्ञा का पक्ष रखा गया है।
इस फिल्म में बताया गया है कि यूपीए की सरकार ने हिन्दी आतंकवाद को लेकर किस तरह रवैया रखा था। इसी के साथ साध्वी ने आरोप लगाए थे कि जिसमें उन्होंने कहा था कि पुलिस हिरासत में उन्हें काफी प्रताड़ित किया गया था। इन आरोपों को बाद में गलत हा गया था। इस विषय को लेकर भी फिल्म में अपना पक्ष रखा गया है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि साध्वी के साथ हुई मारपीट की जांच करने वाले राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के वही लोग थे, जिन्होंने साध्वी को प्रताड़ित किया था।
फिल्म में यह भी है खास
-इस फिल्म में जांच करने वाले मानव अधिकार आयोग के वही लोग थे जिन्होंने समझौता एक्सप्रेस और मक्का मस्जिद ब्लास्ट को लेकर जांच को तोड़ा-मरोड़ा गया था। उनके बारे में इस फिल्म में बताया गया है।
-यूपीए सरकार ने भगवा और हिन्दी आतंकवाद को लेकर किस तरह से लोगों के सामने उसकी छवि बनाई उसका भी भंडाफोड़ इस फिल्म में होने का दावा किया जा रहा है।
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