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श्योपुर । शहर के ऐतिहासिक किले को निजी हाथों में सौंपने संबंधी चर्चाओं के बाद अब श्योपुर में विरोध के स्वर उठने लगे हैं। यही वजह है कि रविवार को समाजसेवियों और पुरातत्त्वप्रेमियों ने एक बैठक बुलाई, जिसमें तय किया गया कि किले को निजी हाथों में नहीं जाने देंगे, इसके लिए जरुरत पड़ी तो न केवल न्यायालय में जनहित याचिका दायर की जाएगी बल्कि सड़क पर आंदोलन भी किया जाएगा।
बैठक में बनाई रणनीति
गांधी विचार मंच के संयोजक सत्यभानु सिंह चौहान के आह्वान पर बुलाई गई बैठक रविवार की दोपहर को श्रीराम धर्मशाला में आयोजित हुई। समाजसेवियों और गणमान्य नागरिकों की मौजूदगी में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि पहले जनप्रतिनिधियों से इस संबंध में समर्थन मांगा जाएगा और फिर जनप्रतिनिधियों के प्रतिनिधि मंडल के साथ सीएम से मुलाकात की जाएगी। यदि उसके बाद कोई सकारात्मक स्थिति नहीं दिखी तो एक कमेटी का गठन किया जाएगा, जिसमें युवाओं को शामिल करते हुए अभियान और आंदोलन चलाया जाएगा। लोगों ने कहा कि किला श्योपुर की ऐतिहासिक धरोहर है और यदि पुरातत्त्व के संरक्षण से इसे हटाकर निजी हाथों में दे दिया तो श्योपुर की नई पीढ़ी श्योपुर की ऐतिहासिक विरासत से दूर हो जाएगी। यही नहीं अभी कुछ माह पूर्व ही लगभग एक करोड़ खर्च कर किले को संरक्षित किया गया है तो फिर निजी हाथ मेें देने की क्या जरुरत आन पड़ी। बैठक में नपाध्यक्ष दौलतराम गुप्ता, पूर्व विधायक बद्री प्रसाद रावत, हरिशंकर पालीवाल, समाजसेवी कैलाश पाराशर, आदित्य चौहान आदि सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
नपाध्यक्ष बोले-नहीं जाने देंगे निजी हाथ में
बैठक में पहुंचे नपाध्यक्ष गुप्ता ने कहा कि आप लोगों के इस जनहित के अभियान को हमारा भी समर्थन है और हमारे पार्षदगण भी आपके साथ हैं। हम किले को निजी हाथ में नहीं जाने देंगे, चाहे हमें इसके लिए आंदोलन भी क्यों न करना पड़े।
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