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Tuesday, January 8, 2019

विदिशा में बनेगा मप्र का पहला गैस आधारित शवदाह गृह

विदिशा. मप्र का पहला गैस आधारित शवदाह गृह विदिशा में बनाने की तैयारी है। रोटरी क्लब ऑफ ग्रेटर ने इसके लिए ट्रस्ट बनाकर तैयारी शुरू कर दी है। करीब एक करोड़ की लागत से बनने वाले इस शवदाह गृह के लिए रोटरी इंटरनेशनल 35 लाख रुपए की मदद करेगा। शेष राशि शहर के दानदाताओं से जुटाई जाएगी।

मप्र में यह सबसे पहला होगा। ट्रस्ट अध्यक्ष सुरेश मोतियानी ने बताया कि इस शवदाह गृह में अग्निसंस्कार मृतक के परिजन स्वयं कर सकेंगे। इसके साथ ही विदेशों या बहुत मजबूरी के कारण समय पर अंतिम संस्कार में शामिल न हो पाने वाले मृतक के परिजन ऑन लाइन भी अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पूरा देख सकेंगे, इसके लिए शवदाह गृह में प्रबंध होंगे। शवदाह गृह में बॉडी फ्रीजर, प्रार्थना सभा हॉल, भजनों की रिकार्डिंग, अस्थियों और राख के लिए स्टोर, मंदिर, गीता के श्लोंकों का लेखन के साथ ही सुन्दर उद्यान विकसित किया जाएगा। इसी स्थान पर मृत्यु प्रमाणपत्र देने का इंतजाम भी होगा।

 

4 हजार क्विंटल लकड़ी बचेगी
ट्रस्ट के सचिव चंद्रमोहन अग्रवाल ने बताया कि विदिशा में औसतन रोजाना 5 शवों का दहन किया जाता है। प्रत्येक शव के अग्नि संस्कार में 2.5 क्विंटल लकड़ी की आवश्यकता होती है। इस तरह एक माह में करीब 4 हजार क्विंटल से ज्यादा लकड़ी जला दी जाती है। इसका सीधा प्रभाव वनों पर पड़ रहा है। पेड़ लग नहीं पा रहे हैं, लेकिन उनकी कटाई खूब हो रही है। यदि गैस आधारित शवदाह गृह बन जाएगा तो हर माह करीब 4 हजार क्विंटल लकड़ी को बचाया जा सकेगा।


एप्रोच रोड बनाने का सहयोग लिया जाएगा...
गैस आधारित शवदाह गृह के इस प्रोजेक्ट के लिए रोटरी ग्रेटर ने ट्रस्ट बनाया है। इसके अध्यक्ष सुरेश मोतियानी और सचिव चंद्रमोहन अग्रवाल हैं। मोतियानी और अग्रवाल ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए हमने नगरपालिका से 2 से 5 बीघा तक की जमीन मांगी है, जिससे अत्याधुनिक और भव्य शवदाह गृह का निर्माण किया जा सके।नपा से सिर्फ जमीन और एप्रोच रोड बनाने का सहयोग लिया जाएगा, शेष काम ट्रस्ट खुद करेगा। अभी एलपीजी गैस आधारित ऐसा शवदाह गृह गुजरात के मेहसाणा में रोटरी क्लब के सहयोग से बनाया गया है।

 

शवदाह गृह में कई प्रबंध होंगे...
मप्र में यह सबसे पहला होगा। ट्रस्ट अध्यक्ष सुरेश मोतियानी ने बताया कि इस शवदाह गृह में अग्निसंस्कार मृतक के परिजन स्वयं कर सकेंगे। इसके साथ ही विदेशों या बहुत मजबूरी के कारण समय पर अंतिम संस्कार में शामिल न हो पाने वाले मृतक के परिजन ऑन लाइन भी अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पूरा देख सकेंगे, इसके लिए शवदाह गृह में प्रबंध होंगे।

सुन्दर उद्यान विकसित किया जाएगा...
शवदाह गृह में बॉडी फ्रीजर, प्रार्थना सभा हॉल, भजनों की रिकार्डिंग, अस्थियों और राख के लिए स्टोर, मंदिर, गीता के श्लोंकों का लेखन के साथ ही सुन्दर उद्यान विकसित किया जाएगा। इसी स्थान पर मृत्यु प्रमाणपत्र देने का इंतजाम भी होगा। ट्रस्ट के सचिव चंद्रमोहन अग्रवाल ने बताया कि विदिशा में औसतन रोजाना 5 शवों का दहन किया जाता है। प्रत्येक शव के अग्नि संस्कार में 2.5 क्विंटल लकड़ी की आवश्यकता होती है।

 

इस तरह एक माह में करीब 4 हजार क्विंटल से ज्यादा लकड़ी जला दी जाती है। इसका सीधा प्रभाव वनों पर पड़ रहा है। पेड़ लग नहीं पा रहे हैं, लेकिन उनकी कटाई खूब हो रही है। यदि गैस आधारित शवदाह गृह बन जाएगा तो हर माह करीब 4 हजार क्विंटल लकड़ी को बचाया जा सकेगा।

 

मेहसाणा गुजरात की तर्ज पर विदिशा में भी रोटरी क्लब गैस आधारित शवदाह गृह बनाने जा रहा है। रोटरी इंटरनेशनल के साथ ही यह राशि शहर के दानदाताओं से एकत्र की जाएगी। नपा से इसके लिए जगह मांगी गई है। मप्र में अपने तरह का यह पहला गैस आधारित शवदाहगृह होगा।
सुरेश मोतियानी, ट्रस्ट अध्यक्ष



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