
अभिषेक गुप्ता
कोटा. नौनिहालों के मुंह से दूध का घूंट दूर हो सकता है। पूर्व सरकार ने जो बजट दिया, वह खर्च हो चुका है। अभी तक दुबारा बजट नहीं दिया गया है। इस कारण अन्नपूर्णा दूध योजना पर संकट के बादल छा गए हैं। शिक्षा विभाग ने सरकार को पत्र लिखकर योजना के निर्बाध संचालन के लिए तत्काल बजट उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।
तत्कालीन भाजपा सरकार ने चुनाव से पहले जुलाई में अन्नपूर्णा दूध योजना की शुरुआत की थी। इसके लिए सरकार ने अलग से एडवांस बजट स्वीकृत किया था। यह बजट खत्म होते ही नई सरकार ने इस योजना में बजट जारी नहीं किया। प्रदेश के करीब 66 लाख बच्चों को स्कूलों में सितम्बर 2018 तक सप्ताह में 3 दिन स्कूली बच्चों को दूध पिलाने की योजना थी। उसके बाद पूरे सप्ताह में इस योजना लागू की गई। इसमें 4 लाख मदरसों के बच्चों को भी शामिल किया गया।
प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने पत्र में लिखा है कि इस योजना का आवंटित बजट में दिसम्बर से ही खत्म हो गया है। जबकि दूध का भुगतान प्रतिदिन किया जाता है। राशि के अभाव में अन्नपूर्णा दूध योजना संचालित करने में विद्यालयों को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
यदि बजट नहीं दिया गया तो दूध की सप्लाई बंद हो सकती है। अन्नपूर्णा दूध योजना में 545.95 लाख का आवंटन किया गया था। जिसमें से नवम्बर तक 471.52 लाख व्यय हो चुका है। शेष 74.43 लाख बचा है। प्रतिमाह लगभग 120 लाख रुपए का व्यय हो रहा है। समुचित बजट का आवंटन 3 करोड़ अग्रिम माह तक के लिए अविलम्ब करें ताकि अन्नपूर्णा दूध योजना बाधित ना हो।
यह था उद्देश्य
सरकारी विद्यालयों में बच्चों को पोष्टिक आहार प्रदान कर उनका शारीरिक विकास करना। सरकारी विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की संख्या में वृद्धि करना। सरकारी विद्यालयों से बच्चों के ड्राप-आउट समस्या को कम करना है।
- सहकारी डेयरी से हुआ था अनुबंध
तत्कालीन सरकार ने सभी स्कूलों में समय पर दूध पहुंचाने के लिए सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ ( कोटा डेयरी) से दूध आपूर्ति का अनुबंध हुआ था। डेयरी प्रशासन ने भी बजट के अभाव में दूध सप्लाई में असमर्थता जताई है।
- कोटा में इतने बच्चे लाभाविंत
कोटा जिले में अन्नपूर्णा दूध योजना से 1146 स्कूलों के 1 लाख 10 हजार 400 सौ 75 बच्चे लाभाविंत हो रहे है।
- यह मिला दूध
कक्षा- 1 से 5 वीं तक बच्चे को - 150 मि.ली.
कक्षा- 6 से 8वीं तक बच्चे को- 200 मि.ली.
- अन्नपूर्णा योजना के तहत दिसम्बर तक का विद्यालयों को भुगतान किया जा चुका है, लेकिन योजना को अग्रिम संचालित करने के लिए मिड डे मील आयुक्त से बजट की मांग की है।
- पुरुषोत्तम माहेश्वरी, जिला शिक्षा अधिकारी, प्रारंभिक, कोटा
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2MzXNJy
No comments:
Post a Comment