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Tuesday, May 29, 2018

जान जाए तो जाए पर नींद में खलल बर्दाश्त नहीं, रातभर सड़क पर दर्द से तड़पती रही गाय, दिन में पहुंची एम्बुलेंस

कोटा . शहर में यदि कोई गोवंश रात में दुर्घटना में घायल हो जाए तो नगर निगम के कर्मचारी उसे तत्काल पशु चिकित्सालय नहीं ले जाएंगे, बल्कि सुबह होने का इंतजार करेंगे। घायल मूक प्राणियों को रात में पशु चिकित्सालय नहीं ले जाया जाता, जबकि निगम के पास एम्बुलेंस हैं। अधिकारियों की अनदेखी के कारण दस लाख की नई एम्बुलेंस धूल खा रही है।

 

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नगर निगम में घायल गौवंश को पशु चिकित्सालय पहुंचाने के लिए दो एनीमल्स एम्बुलेंस हैं। इनमें से एक कोचिंग संस्थान ने दी थी। दूसरी एम्बुलेंस दो माह पहले विधायक कोष से दी गई थी। यह नई एम्बुलेंस दो माह से धूल खा रही है। इसका कोई उपयोग नहीं हो रहा। पिछले दिनों पार्षदों ने यह मामला उठाया तो इस एम्बुलेंस को गैराज से फायर ब्रिगेड दफ्तर में खड़ी करवा दिया गया। रात में गौवंश घायल होने पर एम्बुलेंस नहीं जाती।


महापौर से बात की
गौशाला समिति अध्यक्ष पवन अग्रवाल ने बताया कि एनीमल्स एम्बुलेंस को स्थायी रूप से रात में भी संचालित करने के लिए महापौर से बात की है। आयुक्त से भी बात करेंगे। एम्बुलेंस सेवा चौबीस घण्टे संचालित करवाएंगे।

 

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तीन घंटे तड़पती रही गाय
पिछले दिनों कैथून रोड पर चंदन फार्म हाउस के सामने कार ने एक गाय को जबर्दस्त टक्कर मार दी। यह गाय बीच सड़क पर तड़प रही थी। गाय के दोनों पैर टूट गए थे। पत्रिका संवाददाता ने आयुक्त, महापौर, उप महापौर को घायल गाय को पशु चिकित्सालय भेजने के एम्बुलेंस भेजने के लिए फोन किया तो उन्होंने उठाया नहीं।

 

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गोशाला समिति के अध्यक्ष पवन अग्रवाल को फोन किया तो उन्होंने कहा कि रात में एम्बुलेंस सेवा नहीं है। फिर भी अधिकारियों से बात करता हूं, लेकिन कुछ नहीं हुआ। उपायुक्त राजेश डागा को इस बारे में रात 11 बजे बताया तो उन्होंने एम्बुलेंस भेजने के प्रयास शुरू किए। एक कर्मचारी को ड्राइवर के घर भेजकर उसे बुलाया गया। इसके बाद रात 12.30 बजे एम्बुलेंस से घायल गाय को पशु चिकित्सालय भेजा गया। यहां रात में कोई कर्मचारी नहीं था। बाद में घायल गाय तो कायन हाउस में रखा गया।



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