
सवाईमाधोपुर. सूरज की आग उगलती किरणों ने धरा को जार-जार कर रखा है। पशु-पक्षी और लोग व्याकुल है। गर्मी का आलम यह है कि इसने तालाब-पोखरों को सूखा दिया है। भू-जल स्तर ने पाताल का रुख कर लिया है। इससे हैंडपंप और नलकूप रीत गए हैं। इसी के साथ भयंकर पेयजल किल्लत शुरू हुई। जिससे अभी तक निजात नहीं मिल पाई है। आए दिन लोग सड़कों पर जाम लगाकर पेयजल की मांग कर रहे है।
जलदाय विभाग कोशिश तो कर रहा है, लेकिन लोगों को पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराने में नाकाम साबित हुआ है। इधर, सरकार द्वारा शुरू की गई दूरगामी योजनाओं की क्रियान्विति समय पर नहीं होने से बनास और चम्बल नदियों के आस-पास रहने वाले लोग भी पेयजल किल्लत से जूझ रहे हैं। अमूमन यही हाल पूरे जिले का है। पेयजल समस्या को इंगित करती पत्रिका की खास रिपोर्ट:-
ग्रामीण क्षेत्रों में टैंकरों से भी नहीं हो रही पर्याप्त जलापूर्ति,
फ्लोराइड का दंश, झेल रहे लोग
सवाईमाधोपुर. जनता को मीठा पानी पिलाने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च हो गए, लेकिन लोग आज भी खारा पानी ही पी रहे हैं। जिले में देखरेख के अभाव में कई गांवों में आरओ प्लांट बंद पड़े हैं। ऐसे में लोगों को शुद्ध पीने का पानी नहीं मिल रहा है। कई गांवों में लगे आरओ प्लांट बंद पड़े हैं। ग्रामीणों को इन प्लांटों से कोई लाभ नहीं मिल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 34 आरओ प्लांट है। हालाते ये हैं कि 73 गांवों में आज भी फ्लोराइड युक्त पानी पीने की मजबूरी है।
योजनाएं कब पूरी होंगी
पेयजल योजनाओं के नाम पर हर बार चुनाव में वोट मांगें जाते हैं। जल योजनाओं का वादा किया जाता है, लेकिन चम्बल परियोजना पिछले डेढ़ दशक से अधूरी पड़ी है। वहीं अब बनास से पानी मिलने की उम्मीद जागी है।
टैंकरों से भी नहीं हो रही आपूर्ति
शहर की विभिन्न कॉलोनियों के बाशिंदों के लिए गर्मी का मौसम किसी परीक्षा से कम नहीं है। जलदाय विभाग के टैंकर से जलआपूर्ति के दावे भी खोखले साबित हो रहे हैं। शहर के आदर्श नगर, साहू नगर, कोली मोहल्ला, रैगर मोहल्ला, राजगनर, सीमेंट फैक्ट्री, मीणा कॉलोनी आदि जगहों टैंकर का इंतजार करते दिखे जा सकते है, जबकि जिला कलक्टर ने बैठकों में कई बार जलदाय विभाग के एसई व एक्सईएन को शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में टैंकरों से आपूर्ति के निर्देश दिए है।
टैंकरों के पानी से बुझा रहे प्यास
हैण्डपम्प मरम्मत की गति धीमी
बामनवास. उपखण्ड क्षेत्र में इस बार भी प्रशासन की ओर से टैंकरों के माध्यम से पानी वितरित किए जा रहा है। क्षेत्र में प्रतिदिन एक सौ पांच से अधिक टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है। पेयजल संकट की शिकायत आने के बाद उपखण्ड प्रशासन द्वारा जलदाय विभाग की जांच रिपोर्ट के आधार पर टैंकरों की स्वीकृति जारी की जा रही है। गौरतलब है कि पिछले सालों में गर्मियों के दौरान ढाई सौ से तीन सौ तक टैंकरों से पानी वितरित किया जाता था। इस बार टैंकरों की मॉनिटरिंग ठीक होने से पहले वाली नौबत नहीं आई। इसके पीछे एक प्रमुख कारण यह भी है कि कई गांवों को इस बार जलदाय विभाग द्वारा जल योजनाओं से जोड़ दिया गया है। अकेले उपखण्ड मुख्यालय पर बीते बरसों में 30 से 40 टैंकर प्रतिदिन डलते थे। इस बार इनकी संख्या पांच से सात के बीच रह गई है। लिवाली में जरूर प्रतिदिन दस टैंकर भेज रहे हैं।
मांग के मुकाबले एक लाख लीटर कम
उपखण्ड मुख्यालय पर वर्तमान में प्रतिदिन 7 लाख लीटर पानी की आवश्यकता है। इसके विपरीत जलदाय विभाग 6 लाख लीटर ही पानी की आपूर्ति कर पा रहा है। यह आपूर्ति भी 48 घंटे के अंतराल पर हो रही है। जलदाय विभाग प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 40 लीटर के अनुपात में जलापूर्ति का लक्ष्य रखता है।
स्थिति ठीक है
- ज्यादा समस्याग्रस्त गांवों में टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति कराई जा रही है। फिलहाल उपखण्ड क्षेत्र में पेयजल की स्थिति ठीक है।
विजयसिंह मीना,सहायक अभियंता जलदाय विभाग बामनवास
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