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भोपाल. लगातार बढ़ती जनसंख्या और कम होते संसाधनों के कारण बड़ी आबादी बुनियादी सुविधाओं से महरूम है। आबादी के मुताबिक पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराने में तमाम शासकीय महकमे पूरी तरह सफल नहीं हो सके हैं। एक ओर जहां आबादी में इजाफा हो रहा है, वहीं उस अनुपात में न तो बेहतर पेजयल व्यवस्था की जा सकी है और न ही स्वास्थ्य एवं परिवहन के लिए लायक सड़कों का निर्माण हो सका है। तकरीबन 80 साल पहले बमुश्किल 25 से 30 हजार की आबादी वाला भोपाल आज 25 लाख से अधिक जनसंख्या वाला शहर है। आबादी बढऩे के साथ ही शहर का फैलाव भी हुआ, पर बुनियादी सुविधाओं के लिए अभी भी शहरवासियों की जद्दोजहद बदस्तूर जारी है।
पुराना शहर: बढ़ती समस्याएं, कम होती सुविधाएं
आजादी के बाद आबादी बढऩे के साथ ही शहर का विस्तार चारों ओर हुआ और भोपाल का केंद्र कहा जाने वाला चौक बाजार तंग गलियों और भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में शुमार हो गया। लालघाटी निवासी व्यवसायी 90 वर्षीय संतोक चंद भंडारी के मुताबिक 80 साल पहले भोपाल महज 25 हजार की आबादी का शहर था, पर अब आबादी 25 लाख से अधिक है। भंडारी का कहना है कि बीते सालों में भोपाल की आबादी कई गुना बढ़ी, पुराने शहर की सड़कें तंग गलियों में तब्दील हो गईं, पर सुविधाएं उस लिहाज से नहीं मिल सकी हैं। हालात ये हैं कि यहां अब सड़कें चौड़ी तक करने की गुंजाइश नहीं बची है। ऐसे में हालात दिनोदिन खराब ही हो रहे हैं।
कोलार: उपनगर का तमगा सिर्फ नाम का
तेजी से विकसित होते कोलार को विकास की रफ्तार देने के लिए नगर निगम में शामिल किया गया था, पर रहवासियों को बुनियादी सुविधाएं नसीब नहीं हो सकी हैं। तीन लाख से अधिक आबादी वाले कोलार में तमाम रहवासी क्षेत्रों में न तो सड़क नसीब हो सकी है और न ही पानी। हालात ये हैं कि बेहतर रिहायश की तलाश में कोलार का रुख करने वाले लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। आबादी के लिहाज से न तो सड़कें बनाई जा सकी हैं और न ही स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। रहवासियों का पानी और पानी से होने वाली परेशानियों रोजाना का जद्दोजहद बदस्तूर जारी है।
बीते दस साल में होशंगाबाद रोड और अयोध्या बायपास क्षेत्र जिस गति से डेवलप हुआ है, उस हिसाब से सुविधाओं का विस्तार नहीं हो सकता है। होशंगाबाद रोड की आबादी तीन साल पहले डेढ़ लाख के आसपास थी, वह अब बढ़कर दो लाख से ज्यादा हो गई है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। स्ट्रीट लाइट, एप्रोच रोड, पेयजल तक की सुविधा नहीं मिल रही है।
नगर निगम चुनाव से पहले राजधानी के शामिल हुए समरधा, मक्सी, छान, रापडिय़ा गांव की हालत तो पहले से भी खराब हो गई है। 11 मील और कटारा क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट नहीं होने के कारण अंधेरा छाया रहता है। नर्मदा पाइप लाइन बिछने के बाद भी पर्याप्त पेयजल नहीं मिल रहा है। स्नेह नगर में बीते सात दिन से बदबूदार पानी की सप्लाई की जा रही है। आशिमा मॉल को संत नगर होते हुए कटारा से जोडऩे वाली मास्टर प्लान 80 फीट रोड तीन साल से अधूरी पड़ी है। आबादी जिस गति से बढ़ रही है, उस हिसाब से इस क्षेत्र के रहवासियों को सुधिाएं नहीं मिल रही हैं।
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