बच्चे को आत्मनिर्भर बनाना है तो न बनें 'हेलिकॉप्टर पैरेंट्स', जानिए कैसे - Hindi Breaking Newz T20 For

Breaking

Home Top Ad

Responsive Ads Here

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Thursday, July 26, 2018

बच्चे को आत्मनिर्भर बनाना है तो न बनें 'हेलिकॉप्टर पैरेंट्स', जानिए कैसे

भोपाल। हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि वह अपने बच्चे का बेहतर तरीके से पालन-पोषण करे, उसका पूरा खयाल रखे। पैरेंटिंग का एक दूसरा पहलू यह भी है कि हम बच्चों के हर एक मामले में अपना पूरा दखल रखते हैं। बच्चे से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात में हमारा हस्तक्षेप होता है। पैरेंटिंग का यह तरीका बच्चों को आत्मनिर्भर बनने में रोड़ा साबित होता है। बचपन से ही बच्चा आश्रित रहने लगता है। ऐसे माता-पिता को ही कहा जाता है हेलिकॉप्टर पैरेंट्स। कहीं आप भी तो ऐसे नहीं है।

निर्भरता

आप गौर कीजिए कहीं आपका बच्चा हर छोटे-बड़े मामले में आपकी मदद मांगता है क्या? खुद अपने स्तर पर फैसला लेने के बजाय हर एक बात आपसे पूछता है क्या? मान लीजिए आपका बच्चा आपसे पूछता है कि वह स्कूल में फलां-फलां बच्चे को दोस्त बना सकता है क्या? अगर ऐसा ही है तो आप हेलिकॉप्टर पैरेंट्स हैं। बच्चे को फैसले अपने स्तर पर लेने दीजिए। हर छोटी-छोटी बातें आपसे पूछने की आदत छुड़वाइए और अपने स्तर पर निर्णय लेने के लिए बच्चे को कहें। ऐसा करने पर बच्चे में निर्णय लेने की क्षमता बढ़ेगी और निर्भरता कम होगी।

टीचर से झगड़ा

बच्चे के स्कूल टीचर्स से संपर्क रखना और बच्चे के स्टडी के बारे में जानकारी पैरेंट्स को रखनी चाहिए लेकिन हर टीचर से हर एक विषय के मामले में रोजाना जानना और इसमें दखल भी उचित नहीं है। मान लीजिए आपके बच्चे के किसी विषय में नंबर कम आए है तो, इस मामले में टीचर से आप झगड़ पड़ते हैं तो यह पैरेंटिंग का कोई अच्छा उदाहरण नहीं है। बच्चों के स्कूल टीचर्स से जुड़ाव रखिए लेकिन उतना ही जितना कि जरूरी है। स्कूल में बच्चे की हर छोटी-बड़ी बात को जानने की दिलचस्पी के बजाय उसके ग्रोथ से जुड़ी बातों का जानना हर पैरेंट्स के लिए काफी है।

होम वर्क

कई माता-पिता होते हैं, जो अपने बच्चे के होम वर्क को लेकर ज्यादा ही चिंतित रहते हैं। होम वर्क के मामले में बच्चों को गाइड करना अच्छी बात है लेकिन खुद कॉपी-किताब लेकर होम वर्क में जुट जाना और बच्चे को बेफिक्र छोड़ देना सही पैरेंटिंग नहीं है। स्कूल के प्रोजेक्ट, डांस या अन्य गतिविधियों की तैयारी में आप सहायक बनें, न कि आप खुद इन कामों को ओढ़ लें और बच्चा समझ भी न पाए कि यह काम उसका किस तरह हुआ है।

हिमायती

देखा गया है कि कई माता-पिता अपने बच्चे के हर एक मामले में उसका पक्ष लेते हैं, चाहे उनका बच्चा गलत ही क्यों न हो। दोस्तों में आपस में लडऩे पर भी आप दखल देते हैं तो यह उचित पैरेंटिंग का उदाहरण नहीं है। यह छोटे-छोटे मामले हैं, जिनमें पैरेंट्स का बच्चों का स्पोक पर्सन बनने की बजाय बच्चों पर ही छोड़ देना चाहिए कि वे अपने स्तर इन बातों का फैसला कर लें। जरूरी होने पर ही इन मामलों में आपका दखल होना चाहिए।

हर जगह साथ

क्या आप अपने बच्चे के साथ हर जगह होना पसंद करते हैं? यहां तक कि जब वह हाई स्कूल में पढ़ता हो तब भी? वह दोस्तों के साथ बाहर घूमने निकलता है तो भी आप उसके साथ ही रहते हो? अगर ऐसा ही है तो निश्चित रूप से आप हेलिकॉप्टर पैरेंट्स की भूमिका निभा रहे हैं।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/2LzkwaJ

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages