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Saturday, August 25, 2018

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पिपलई डैम में आया रिसाव, ग्रामीणों में दहशत

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रायसेन. जिला मुख्यालय से लगाग छह किमी दूर स्थित ग्राम पिपलई का डैम लगातार बारिश से हुए जलभारव से छतिग्रस्त हो गया है। गुरुवार रात से डेम की पार से पानी का रिसाव हो रहा है। जिसे देख ग्रामीणों ने शुक्रवार सुबह जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों को सूचना दी। सूचना पाकर पहुंचे विभाग के अधिकारी, कर्मचारी डैम की पार की मरम्मत करा रहे हैं। पार पर हुए गड्ढे में मिट्टी का भराव कर पानी का रिसाव रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि इससे ग्रामीण संतुष्ट नहीं हैं। जबकि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मिट्टी भरने से पानी का रिसाव बंद हो जाएगा।

सन 1998 में बना और 800 हेक्टेयर में फैले डैम के पानी का उपयोग 20 गांव के किसान खेती में करते हैं। यह डैम सन 2006 में एक बार फूट चुका है। मगर प्रशासनिक अधिकारियों ने इस ओर ध्यान न देते हुए उस समय मिट्टी की बोरियां भरकर रिसाब को बंद किया था। वही प्रक्रिया फिर अपनाई जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि इससे पहले विभाग के अधिकारी कभी डैम के हालात देखने नहीं आए।

विभाग की एसडीएम प्रतिभा सिंह की कार्यप्रणाली हमेशा विवादों में रही है। जब एक किसान ने मीडिया से कहा कि कोई भी अधिकारी डेम का निरीक्षण करने नहीं आते हैं, तो उन्होंने किसान को देख लेने की धमकी दे डाली।

2006 में फूटा था डैम
वर्ष 2006 में भी यह डैम फूटा था, तब रायसेन शहर की हाउसिंग बोर्ड कालोनी समेत पांच गांव प्रभावित हुये थे। जिस कारण ग्रामीणों में आज फिर डर का माहौल है। गुरुवार को डैम से रिसाव की सूचना के 24 घंटे बाद अमला डेम पर पहुंचा तथा मरम्मत के नाम पर मिट्टी की बोरियां भरवाकर खाना पूर्ती कर रहा है। एसडीओ प्रतिभा सिंह ने दावा किया है कि मिट्टी के भराव के बाद 800 हेक्टेयर में फैला यह डेम पूरी तरह सुरक्षित हो जाएगा। इस डेम की पानी क्षमता 1.91 मिलियन क्यूबिक मीटर है। इससे 300 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती है।

जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों के पहुंचने से पहले ग्रामीणों ने खुद मेहनत कर मिट्टी की बोरियों को बैलगाड़ी से लाकर रिसाव को भरने की कोशिश की।

पहले नहीं चेते
सवाल यह खड़ा होता है कि जब प्रशासनिक अधिकारियों को यह पता है कि इस डेम में रिसाव होता है तो, बारिश के पहले खुले मौसम में इसकी मरम्मत होना चाहिए थी। जहां डैम की पार पर एक ओर बड़े बड़े गड्ढे हो गए हैं। उन गड्डो में 6 फीट तक बांस अंदर जा रहे हैं। इससे मालूम होता है कि डेम की पार में मिट्टी धंस चुकी है। यह डेम किसी दिन बड़े हादसे को जन्म दे सकता है और कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है।



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