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एक्सपर्ट - सुदीप गोयनका, एआईजी, सायबर सेल
भोपाल। बच्ची के इलाज के लिए इस पोस्ट को शेयर करें तो हर शेयर पर व्हाट्सएप 50 पैसे देगा। आज रात कॉस्मिक रेज गुजरेंगी इसलिए रात 12 बजे अपना मोबाइल बंद रखें। नेशनल एंथम को यूनेस्को ने नंबर-1 घोषित किया है। एटीएम में फंस जाए तो उल्टा पिन डालें पुलिस आ जाएगी। इस तरह की अफवाहों से भरी फेक न्यूज को बिना वेरिफाई किए फॉरवर्ड करने का नतीजा यह होता है कि आपकी आंख बंद कर शेयर करने की आदत का फायदा उठाकर लोग आपके माध्यम से धार्मिक भावनाओं को आहत पहुंचाने वाले वीडियोज और कंटेट भी शेयर करवा लेते हैं और आप बिना सोचे-समझे यह कर देते हैं। लेकिन अनजाने में आप साइबर क्राइम कर बैठते हैं।
लाइक, शेयर या कमेंट करते वक्त खुद से करें ये सवाल
क्या मैं जो पोस्ट, लाइक, शेयर, टैग या कमेंट करने जा रहा हूं वो इललीगल तो नहीं है?
क्या इस पोस्ट से मैं किसी मुसीबत में तो नहीं पड़ जाऊंगा?
क्या मेरी पोस्ट से किसी की भावनाएं तो आहत नहीं होंगी?
अगर इन सवालों का जवाब डाउटफुल या ना है तो ऐसे पोस्ट को आप कभी भी शेयर ना करें। साइबर एथिक्स और लॉ में अंतर है। हो सकता है यह करना अपराध की श्रेणी में ना आए लेकिन अगर आप अपना ऑनलाइन बिहेवियर रिस्पॉसिबल रखेंगे तो आपकी ऑनलाइन रेप्युटेशन भी अच्छी बनेगी।
क्या मैं यह पोस्ट अपनी फैमिली, फ्रेंडस और बच्चों को दिखा सकता हूं?
बेहिचक करें अनफ्रेंड और ब्लॉक
सोशल मीडिया एक्सपर्ट का मानना हैं कि किसी को भी बिना बात टैग कर देना, बिना सोचे-समझे कुछ भी पोस्ट कर देना या फिर कमेंट सेक्शन का लगातार मिसयूज करना, आजकल सोशल मीडिया पर आम हो गया है। ऐसी स्थिति में आप बिना हिचके उन्हें अपनी फै्रंडलिस्ट से ब्लॉक, रिमूव या अनफॉलो करें। वहीं कई बार देखा गया है कि लोग विचारों का मेल ना हो पाने की स्थिति में भी ब्लॉक और अनफॉलो करते हैं, खासकर इलेक्शन नजदीक होने के चलते पॉलिटिकल इश्यूज पर की जाने वाली वन साइडेड पॉलिटिकल व्यूज लोगों के लिए काफी इरिटेटिंग होता है।
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