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Friday, October 19, 2018

रामनवमी विशेष: जिन्हें देवी मान पूज रहे, आज उन्हीं को कर रहे कत्ल

कोटा. जिन नन्हीं बेटियों को दुनिया में आते ही ममता, दुलार, स्नेह, प्यार व सुरक्षा का अहसास कराती बाहें मिलनी चाहिए थी, उन्हें जन्म के बाद नाले-नालियां, कचरा-गंदगी का ढेर, कंटीली झाडिय़ां नसीब हुई। निर्दयी मां और स्वजनों ने ही उन्हें दुनिया में आने से पहले ही दुत्कार दिया। पिछले छह साल में 33 बच्चों का गर्भ में ही कत्ल कर दिया गया। वर्ष 2012 से मई 2018 तक 33 भू्रण हत्या के मामले शहर के विभिन्न थानों में दर्ज हुए। इनमें से 10 अविकसित मिले। वहीं, 12 बालक व 11 बालिका भ्रूण थे।

 

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जन्म के बाद दुत्कारें 20 नवजात
तमाम मुश्किलों के बाद 20 बच्चे जन्म ले सके। इनमें से केवल तीन को ही जिंदगी मिली, शेष 17 को मौत। जीवित कन्या व बालक पालना गृह से होते हुए विभिन्न सामाजिक संस्थाओं में आज जिंदगी के उतार-चढ़ाव से रूबरू हो रहे हैं। मासूम की आंखों में मां का स्नेह व सुरक्षा का अहसास कराता पिता का साया उन पर न होने का मलाल दिलों में कहीं दबा है।

 

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ये बच्चे नहीं देख सके दुनिया (भू्रण हत्या)

1. 3 सितम्बर 2012: बेरहम मां अपने गर्भ में पल रहे 8 माह के भू्रण की हत्या कर कोटा बैराज स्थित नाले में फेंक गई। पत्थर से टकराने से शिशु का सिर खून से लथपथ मिला।

2. 8 दिसम्बर 2013 : निर्दयी मां ने गर्भपात करवाकर अपने 5 माह के कन्या भू्रण को मेडिकल कॉलेज परिसर में उगी कंटीली झाडिय़ों में फेंक गई। नवजात के शरीर में कांटे लगने से खून बह रहा था।

3. 4 सितम्बर 2014: कलयुगी मां गर्भपात की गोलियां खाकर गर्भ में पल रहे दो माह के भू्रण की हत्या कर गुमानपुरा स्थित लुहानी नर्सिंग होम के पीछे नाली में फेंक गई। इसी तरह 8 अगस्त को गणेशपुरा मुक्तिधाम स्थित चम्बल घाट के पास महिला 7 माह का कन्या भ्रूण फेंक गई।

4. 7 जून 2016: कैथूनीपोल थाना क्षेत्र में जूनी हवेली स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर के पास देर रात अज्ञात महिला व उसके परिजन 5-6 माह के दो भ्रूण नाली में फेंक गए। वहीं,12 दिसम्बर 2017: जेकेलोन अस्पताल की प्रयोगशाला के पास 6 माह की कन्या भू्रण को कचरे के ढेर में फेंक गई।

5. 15 मई 2018: भीमगंजमंडी थाना क्षेत्र के सौगरिया गांव में निर्दयी मां ने अपनी कोख में पल रहे 6 माह के कन्या भू्रण को राजकीय स्कूल के पास नाली में फेंक गई।

 

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जन्म लेते ही मिले नदी-नाले व झाडिय़ों का बिछौना

1. 8 फरवरी 2012: कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र की बापू कॉलोनी में निर्दयी मां ने बालिका को जन्म देने के तीन दिन बाद ही चंबल नदी में फेंक दिया।

 

2. 3 फरवरी 2013 : रामचंद्रपुरा स्थित न्यू बस स्टैण्ड के पास अज्ञात लोग नवजात बालिका को मिट्टी के ढेर पर फेंक गए। देर रात बालिका के रोने की आवाज सुन वहां पहुंचे आसपास के लोगों ने उसेे उठाया और पुलिस को सूचना दी। लेकिन पुलिस के आने से पहले ही बालिका दम तोड़ चुकी थी।


3. 17 मार्च 2014 : कलियुगी मां ने कन्या को जन्म देने के दो दिन बाद गोरधनपुरा स्थित नहर में फेंक दिया। वहीं, 24 नवम्बर को कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र में नवजात बालिका बालिता रोड पर फेंक दी गई।

4. 16 फरवरी 2015: एमबीएस अस्पताल में जन्म के बाद मां अपनी बेटी को प्रयोगशाला स्थित सीवरेज में फेंक गई। वहीं, 12 सितम्बर को जन्म के बाद महिला ने नवजात बेटी को एमबीएस ब्लड बैंक के पास नाले में फेंक दिया। सिर में गंभीर चोट लगने से उसकी मौत हो गई।

5. 4 जुलाई 2016: बेरहम मां ने जन्म के दो दिन बाद ही अपनी बेटी को मौत की नींद सुला दिया। दो वर्षीय मासूम को किशोर सागर तालाब में फेंक दिया।

6. 17 मई 2018: एमबीएस अस्पताल परिसर में बेरहम मां बेटी को जन्म देकर लावारिस हालत में छोड़ गई। मासूम को जानवरों ने नोंच डाला। कमर से नीचे का आधा हिस्सा मोर्चरी की तरफ पड़ा मिला। पुलिस ने दो टुकड़ों में शव बरामद किया। वहीं, 13 जुलाई को कैथूनीपोल क्षेत्र में महिला ने अपनी तीन दिन की बालिका को चम्बल नदी में फेंक दिया।


किस वर्ष में कितने भ्रूण मिले
वर्ष भ्रूण
2012 1
2013 8
2014 3
2015 7
2016 5
2017 4
2018 5 (मई तक)

 

इन माह में मिले सर्वाधिक भ्रूण
दिसम्बर 6
नवम्बर 5
अक्टूबर 4
मई 4
जून 4
जुलाई 3
सितम्बर 4

इन महीनों में सर्वाधिक मिले नवजात
फरवरी 5
जुलाई 4
जनवरी 2
सितम्बर 2


एक्सपर्ट पैनल
भ्रूण हत्या के कारण व उपाए

सामाजिक सुरक्षा मिले
कारण: सामाजिक सुरक्षा की कमी से अभिभावक कन्या के जन्म से कतराने लगे हैं। महिलाओं व लड़कियों के प्रति बढ़ते अपराध के कारण माता-पिता लड़की को जन्म देना नहीं चाहते।

उपाए: घर से बाहर जाते वक्त अभिभावक लड़कियों को सीख देते हैं कि कोई भी ऐसा काम न करें जिससे घर की इज्जत पर आंच आए, यहीं सीख लड़कों को भी समान रूप से दी जानी चाहिए। इससे काफी हद तक महिलाओं के प्रति हिंसा को रोका जा सकता है। साथ ही नारी भी नारी होने का महत्व समझे। कृत संकल्पित हो तो पुरूषों के कदम भी भू्रण हत्या रोकने के लिए बढ़ सकते हैं।
- ज्योति सिडाना, प्रोफेसर समाजशास्त्र

2. समान दृष्टि भाव रखे

कारण: पुत्रों को पुत्री से ज्यादा महत्व देना व वंश चलाने की मानसिकता नैतिक मूल्यों का पतन कर रही है। सामाजिक व धार्मिक रुढि़वादिता का हावी होना व लिव इन रिलेशनशिप भी भू्रण हत्या के प्रमुख कारण है।

उपाए: लड़का और लड़की को समान दृष्टि से देखें। इनमें भेदभाव की सीमा न हो। आज दोनों ही माता-पिता की बुढ़ापे की लाठी बनने में सक्षम है। समान दृष्टि से कुछ हद तक भू्रण हत्या कमी लाई जा सकती है।
- डॉ. एमएल अग्रवाल, मनोचिकित्सक


वातावरण दूषित होने से रोके

कारण: दूषित वातावरण का गर्भ में पल रहे बच्चे पर बुरा असर पड़ता है। भ्रूण पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाते। सिर नहीं बनना, किडनी व दिल से जुड़ी बीमारियां होती है। सोनाग्राफी में बीमारियों का पता लगने पर डॉक्टर की सलाह से 20 सप्ताह तक के भ्रूण को गिरा सकते हैं। इन केसों में सरकार निर्धारित समय के दायरे में गर्भपात की इजाजत देती है।

उपाय: प्रशासन को शहर में वातावरण को दूषित होने से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। विभिन्न कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को जागरूक करना चाहिए।
डॉ. रत्ना जैन, स्त्री रोग विशेषज्ञ

 

4. लड़के के जन्म जैसी दे बधाई

कारण: सामाजिक व आर्थिक कारण भी भू्रण हत्या के लिए जिम्मेदार है। शिक्षित होने के बावजूद परिवार में लड़के को प्राथमिकता दी जाती है। यह दोहरी मानसिकता को दर्शाती है। इसके अलावा दहेज के कारण अभिभावकों में बेटियों के प्रति नकारात्मक व्यवहार बढ़ता है।

उपाय: लड़की के जन्म पर वैसी ही धूमधाम से बधाई दी जानी चाहिए जैसे लड़के के जन्म पर दी जाती है। ऐसा करने से मानसिकता में बदलाव आएगा और लोगों को प्रेरणा मिलेगी।
- दीपक भार्गव, एसपी शहर पुलिस कोटा



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