
ग्वालियर. नगर निगम के अधिकारियों की मेहरबानी से 63 लाख रुपए संपत्तिकर के घोटाले में फंसे कर संग्रहकोंं को फिलहाल राहत मिल गई है। वजह यह है कि 63 लाख के घोटाले में फंसे एक ऑपरेटर को छोडकऱ बाकी घोटाले की राशि देने के लिए तैयार हो गए हैं, जिससे उन पर बहोड़ापुर पुलिस थाने में कराई जाने वाली एफआइआर का निर्णय नगर निगम ने वापस ले लिया है। जल्द ही इस घोटाले में फंसे आरोपियों को विभागीय जांच करके बहाल कर दिया जाएगा। उधर नगर निगम के वार्डों में अभी भी कर संग्रहकों द्वारा एक से लेकर तीन पसंदीदा दलाल रखकर अलग-अलग क्षेत्र में कर वसूली की जा रही है।
"बैंक में जमा न कर 63 लाख रुपए की चपत लगा गया था प्राइवेट कर्मचारी" |
7 लोगों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए भेजा था आवेदन
नगर निगम के बहोड़ापुर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में 63 लाख रुपए का गबन करने के मामले में दोषी सात लोगों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराने का आवेदन बहोड़ापुर पुलिस थाने तक सहायक संपत्तिकर अधिकारी के माध्यम से भिजवाया गया था। मजेदार बात यह है कि इसमें किसी अधिकारी का नाम शामिल नहीं था। इसकी वजह से मामला भी दर्ज नहीं हो पा रहा था। इसके साथ-साथ निगमायुक्त ने पांच कर संग्रहकों समेत दोषी सातों निगम कर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर विभागीय जांच कराने के निर्देश दिए थे। निगमायुक्त के आदेश के बाद सातों निगम कर्मचारी निलंबित हो गए थे।
65 लाख में से जमा हुए थे केवल 1.38 लाख रुपए
तीन माह पूर्व बहोड़ापुर क्षेत्रीय कार्यालय क्रमांक 1 पर तैनात चार कर संग्रहकों ने मिलकर एक दलाल सुशांत कौरव को रख लिया था, जिसका काम संपत्तिकर की राशि लोगों से वसूलना था। उसे ही बैंक में पैसा जमा कराने का भी काम दे दिया गया था। यह लोगों से पैसा लेता रहा, लेकिन बैंक में जमा नहीं किया। वह 6 माह में निगम को करीब 63 लाख का चूना लगाकर भाग गया। 65.88 लाख में केवल 1.38 लाख जमा हुए। निगम के दस्तावेजों को खंगालने पर मालूम चला कि अप्रैल माह से अब तक करीब 65.88 लाख रुपए संपत्तिकर के रूप में जोन कार्यालय पर प्राप्त हुए, लेेकिन इनमें से मात्र 1.38 लाख रुपए ही बैंक में जमा कराए गए। करीब 63 लाख रुपए का गबन होना सामने आया था।
जांच हो तो खुल सकते हैं करोड़ों के घोटाले
निगम सूत्रों ने बताया कि नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत में अप्रैल से जून तक ऑनलाइन संपत्तिकर जमा नहीं हो पा रहा था, उस समय कर संग्रहकों ने रसीद कट्टे निगम से लेकर संपत्तिकर जमा कराया, उसी दौरान शहर के दूसरे वार्डों में भी संपत्तिकर के नाम पर कर संग्रहकों ने दलालों के माध्यम से बारे-न्यारे कर लिए, जिसकी जांच हो जाए तो करोड़ों रुपए के घोटाले उजागर हो सकते हैं।
ऐसे लगाते हैं चपत
बताया जाता है कि कर संग्रहक अधिकतर संपत्तिकर दाताओं से संपत्तिकर का भुगतान चेक के माध्यम से नगर निगम के नाम से न लेकर अपने नाम से लेते हैं। इस आशय की शिकायतें पूर्व में निगम के वरिष्ठ अधिकारियों के पास पहुंचती रही हंै। उस चेक पर केवल हस्ताक्षर करवाकर और राशि भरवाते हैं, बाकी नाम अपने हाथ से लिखते हैं।
ये हैं घोटाले के दोषी
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जिन कर्मचारियों की लापरवाही से लगभग 63 लाख रुपए की राशि चली गई थी, वह राशि एक ऑपरेटर छोडकऱ बाकी ने जमा करा दी है। उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू करा दी है, जल्द ही बहाल कर देंगे। किसी ने प्राइवेट कर्मचारी कर संग्रहक ने रखे हैं तो हम कार्रवाई करेंगे।
विनोद शर्मा, कमिश्नर नगर निगम
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