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भोपाल. विधानसभा अध्यक्ष के लिए आज विधानसभा में वोटिंग होनी थी पर विधानसभा की कार्यवाही के साथ ही प्रोटेम स्पीकर ने एनपी प्रजापति के विधानसभा अध्यक्ष होने का एलान कर दिया। जिसके विरोध में भाजपा विधायक बेल पर पहुंचकर हंगामा करने लगें। प्रोटेम स्पीकर ने कांग्रेस के एनपी प्रजापित को बिना वोटिंग के विधानसभा अध्यक्ष घोषित किया। जिसके बाद भाजपा के विधायक वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। हगांमा बढ़ने पर प्रोटेम स्पीकर ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी थी।
कांग्रेस के एनपी प्रजापति के पक्ष में पहले चार प्रस्ताव टेबल पर पहुंचे थे, जबकि भाजपा के विजय शाह का प्रस्ताव पांचवे नंबर पर पहुंचा। ऐसे में प्रोटेम स्पीकर ने नियम पांच का हवाला देकर पहले आए प्रस्ताव को अनुमोदित करके प्रजापति को अध्यक्ष घोषित किया। इससे पहले खबरें आ रहीं थी कि भाजपा के उम्मीदवार वोटिंग से पहले अपना नाम वापस ले सकते हैं। नियम पांच के तहत मत विभाजन की जरूरत नहीं पड़ी और प्रोटेम स्पीकर ने वोटिंग कराने से इंकार कर दिया। माना जा रहा है कि अब कांग्रेस भाजपा का विधानसभा उपाध्यक्ष का पद दे सकती है। बता दें कि भाजपा की तरफ से कुंवर विजय शाह मैदान में थे। वहीं, कांग्रेस ने एनपी प्रजापति को अपना उम्मीदवार बनाया है।
डॉ. गोविंद सिंह ने रखा प्रस्ताव
संसदीय मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार एनपी प्रजापति के नाम का प्रस्ताव रखा। मंत्री आरिफ अकील ने उनके नाम का समर्थन किया। इस दौरान कमलनाथ ने नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव की प्रशंसा करते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष अनुभवी हैं।
बसपा ने किया था कांग्रेस को वोट करने का एलान
दोनों ही दल अपने-अपने विधायकों को लेकर कई दौर की बैठक कर चुके थे। कांग्रेस के लिए राहत की खबर तब मिली थी जब बहुजन समाज पार्टी ने एलान किया था कि विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को वोट करेगी। दमोह दिले की पथरिया विधानसभा सीट से विधायक रामबाई ने कहा है कि बसपा विधायक कांग्रेसको वोट करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि भाजपा के कई विधायक भी कांग्रेस उम्मीदवार को वोट देंगे।
मंत्री बनने की मांग कर चुकी हैं रामबाई
बसपा विधायक ने कमलनाथ सरकार को जहां राहत दी है वहीं उन्होंने इसके साथ ही कांग्रेस की टेंशन भी बढ़ा दी है। रामबाई ने कहा कि मुझे मंत्री तो बनना ही पड़ेगा औऱ मुझे ये भी पता है कि मंत्री कैसे बनना है। उन्होंने ये भी बताया है कि कमलनाथ ने उन्हें मंत्री बनाने का भरोसा दिया है। बता दें कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार अल्पमत में है। किसी दल को मध्यप्रदेश में बहुमत नहीं मिला है। कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीटों पर जीत मिली है।
सीएम के डिनर में शामिल हुए थे निर्दलीय
वोटिंग से पहले मुख्यमंत्री ने कांग्रेस विधायकों के साथ बैठक की। इस दौरान कांग्रेस के विधायकों को बताया गया कि पहली बार विधायकों को वोट कैसे ड़ालना है। सीएम कमलनाथ द्वारा दिए गए डिनर में चारों निर्दलीय प्रदीप जायसवाल, सुरेंद्र ठाकुर, विक्रम राणा, केदार डाबर समेत बसपा के संजीव कुशवाह और सपा के राजेश शुक्ला शामिल हुए थे। नाराज चल रहे विधायक राजवर्धन दत्तीगांव से मुख्यमंत्री सीट पर मिलने पहुंचे थे।
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