
कोटा. साइबर क्राइम में जहां एक ओर अपराधी हर रोज एडवांस टैक्नोलॉजी से अपराध को अंजाम दे रहे हैं। वहीं संसाधनों की कमी से जूंझ रही पुलिस ऐसे अपराधियों को पकडऩे और इन पर शिकंजा कंसने में फिसड्डी साबित हो रही है। ऑनलाइन ठगी, भोले-भाले लोगों को ठग उनके खातों से रुपए स्थानान्तरिंत करने के बाद अब एटीएम, चेक व डीडी का क्लोन बनाकर खातों से रुपए निकालने का खेल जोरों पर चल रहा है।
पुलिस अधीक्षक कार्यालय स्थित साइबर क्राइम सेल के कुछ कर्मचारियों के भरोसे 15 लाख से अधिक जनता से जुड़े साइबर क्राइम के मामले और जांचें है। साइबर सेल के पुलिसकर्मियों का अधिकांश समय तो बड़े अपराधों में आरोपियों की कॉल डिटेल व लोकेशन टे्रसिंग में ही निकल जाता है। ऐसे में साइबर अपराध करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का तो सवाल ही नहीं उठता। इसके लिए हर थाने पर आधुनिक साधन व एक्सपर्ट की दरकार है।
बड़े शहरों से हो रहा ऑनलाइन अपराध
देश में साइबर अपराध के अधिकांश मामल गुडग़ांव, दिल्ली व मुम्बई से हो रहे है। इसके अलावा बड़े मेट्रो शहरों से ऐसे ऑनलाइन ठगी की बात सामने आती है। दरअसल अपराधी मोबाइल पर चलने वाले सोश्यल साइट से लोगों के बारे में जानकारी निकाल लेते हैं। इसके बाद वे उनसे मोबाइल के जरिए ही ओटीपी जान लेते हैं और उनके खाते से ऑनलाइन रुपए अपने खातों में ट्रांसफर कर लेते हैं। इसके अलावा एटीएम पासवर्ड जानकर भी ठगी की जा रही है।
अपराधियों तक पहुंच रही डिटेल
लोगों के खातों की जानकारी उनकी सोश्यल साइट के अलावा एटीएम बनाने वाली कंपनियों तथा खातों का ऑनलाइन रखरखाव करने वालों से भी अपराधियों तक डिटेल पहुंच जाती है। उनके पास खाता नंबर से लेकर एटीम कार्ड की डिटेल व पिन भी होता है। वे आसानी से हूबहू एटीएम, चेक व डीडी बना लेते हैं। कोटा में रामपुरा व जवाहर नगर में युवक के एटीएम से निकाले गए रुपए इसी का उदाहरण है। बैंक से डाटा लीक होने पर बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपने अधिकांश ग्राहकों को करीब 8 माह पहले सारे एटीएम कार्ड बदले थे। इसके बाद एसबीआई व अन्य बैंकों ने भी सिक्योर चिप वाले एटीएम ग्राहकों को प्रदान किए हैं।
पूरी तरह सिक्योर नहीं है आपके खाते
शहर में क्लोन बनाकर रुपए निकालने के एक माह में दो मामले सामने आ चुके हैं। दोनों ही मामलों में बैंक के खाताधारक जागरूक व समझदार ग्राहक थे। दोनों ने अपने एटीएम व खातों की जानकारी सुरक्षित रखी, लेकिन अपराधियों ने एक मामले में फर्जी चेक का ऐसा क्लोन बनाया कि बैंककर्मियों को शक तक नहीं हुआ और उसने रामपुरा के यूको बैंक से राशि निकाल ली। ग्राहक सतर्क था और मोबाइल में मैसेज आते ही बैंक पहुंच गया। अपराधी वापस रुपए निकालने की कोशिश करते धरा गया। जबकि दूसरे मामले में कोचिंग में नौकरी करने वाले युवा की जेब में एटीएम होने के बावजूद उसके खाते से रुपए निकल गए। उसके मोबाइल पर ओटीपी की मांग तक नहीं की गई और खाते से रुपए निकल गए। बैंक जाने पर पता लगा कि एटीएम से क्लोन से ऐसा होना संभव है। इसमें ग्राहक को रुपए निकलने के बाद ही पता लग पाता है।
बेराजगारी प्रमुख कारण
पुलिस ने बताया कि देश में शिक्षित बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है। इसमें इंजीनियरिंग व आईटी क्षेत्र के भी बड़ी संख्या में युवा बेरोजगार है। ऐसे में कम्प्यूटर व हाइटेक साइबर क्राइम बढ़ रहे हैं। इस पर अपराधियों को पकडऩे की संभावना कम होने से उनके हौंसले बुलंद है।
साइबर क्राइम से निपटने के लिए मेरे कार्यालय में साइबर सेल है। इसके अलावा जिन थानों में भी साइबर क्राइम को समझने वाले पुलिसकर्मी है, वहां मोबाइल ट्रेस करने जैसे कार्य किए जा रहे हैं। इसमें उपलब्ध साधनों में पुलिस अच्छे से अच्छा कार्य करने की कोशिश कर रही है। साइबर ठगी में दुनिया में किसी भी कोने में बैठकर वारदात को अंजाम दिया जा सकता है। ऐसे में इन्हें पकडऩा भी काफी कठिन होता है। लोगों को ऑनलाइन बैकिंग के लिए पूरा जागरूक रहना चाहिए।
दीपक भार्गव,
पुलिस अधीक्षक, कोटा, शहर
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