
भोपाल। रंगछाया उज्जैन की ओर से शहीद भवन में आयोजित व$कार फारू$की स्मृति नाट्य समारोह के तहत सोमवार को नाटक 'मरणोपरांत' का मंचन किया गया। नाटक की कहानी में जिंदगी की कशमकश को दिखाया गया। नाटक मुख्य रूप से एक स्त्री पर आधारित है जिसकी मृत्यु के बाद उसके पति और प्रेमी की एक मुलाकात होती है और नाटक की कहानी फ्लैश बैक में चली जाती है। उस मुलाकात में पति को उसकी पत्नी के प्रेमी के साथ संबंधों और उससे जुड़ी हुई कई अन्य बातों का पता चलता है। नाटक की कहानी सुरेंद्र वर्मा ने लिखी और निर्देशन दिलशाद फारू$की ने किया। यह प्रस्तुति 40 मिनट की रही जिसमें ऑन स्टेज मंच पर 3 कलाकार नजर आए।
कहानी में है लव ट्रायएंगल
नाटक की कहानी की शुरूआत दो गहरे ऐसे गहरे दोस्त से होती है जिन्हें एक ही लड़की से प्यार हो जाता है। इसमें एक दोस्त अपने प्यार को दबा देता है और दूसरे दोस्त की शादी उस लड़की से हो जाती है। लड़की की मौत सड़क दुर्घटना में हो जाती है। फिर दोनों दोस्त जब एक साथ होते हैं तो प्रेम संवेदना और शोक के बीच से संवाद मरणोपरांत उसकी याद दिला देते हैं। इस त्रिकोणीय प्रेम कहानी एक समुद्र किनारे जहां एक आदमी बैंच पर बैठा सिगरेट पी रहा हैं और वहां दूसरा व्यक्ति आता हैं और इसी बीच उनकी बात शुरू होती हैं। यह बात एक की प्रेमिका और दूसरे की बीवी के बारे में है।
दोनों अपनी बातों से बताते हैं कि वो उसे कितना प्यार करते हैं। किसे? उस औरत को... लेकिन वह तो मर चुकी हैं तो दोनों उसके प्रति कुछ बातें साफ करने आए होते हैं। नाटक के अंत में पता चलता हैं कि औरत का पहले व्यक्ति से किस हद तक रिश्ता था और वह अपने पति को भी नहीं छोडऩा चाहती थी। उस औरत और दूसरे व्यक्ति में काफी नजदीकियां थी और उसका पति उसे बेइंतिहा प्यार करता रहा और उसे कभी भी इस बात का एहसास नहीं होने दिया।
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