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जितेन्द्र चौरसिया @ भोपाल. कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में पिछली भाजपा सरकार के समय 15 सालों में हुए विभिन्न खनिज घोटालों पर जांच बैठा दी है। इसमें 10 करोड़ से ज्यादा की गड़बडिय़ों को निकाला जा रहा है। ऑडिट की आपत्तियां भी देखी जा रही हैं।
अब तक प्रारंभिक रूप से 1350 करोड़ रुपए ऐसे सामने आए हैं, जिनमें खदान मालिकों ने सरकार को चपत लगाई है। अब सरकार ने इस धन राशि की वसूली का निर्णय लिया है। साथ ही गोलमाल करने वालों की संपत्ति कुर्क करके उन पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। दूसरे मामलों की जांच भी की जा रही है। इससे कई बड़े समूहों पर शिकंजा कस सकता है।
बड़े मामलों की समीक्षा
खनिज विभाग ने सभी जिला खनिज अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि 15 साल में जितनी भी आर्थिक गड़बडिय़ां हुई हैं, उनकी फाइलें खोली जाएं। इसमें 10 करोड़ तक के मामले स्थानीय और संचालक स्तर पर देखे जाएंगे, जबकि 10 करोड़ से ज्यादा की गड़बड़ी पर राज्य शासन के स्तर पर फैसला होगा। खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल और प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई बड़े मामलों की समीक्षा करेंगे। प्रारंभिक जांच में इन मामलों में 1350 करोड़ रुपए की गड़बड़ी सामने आई है। खनिज विभाग ने इस राशि को वसूली के लायक पाया है। यह राशि खदान मालिकों से वसूला जाना है।
खदान बंद या चालू, दोनों स्थिति में होगी वसूली
राज्य सरकार ने खनिज विभाग के अधिकारियों से साफ कहा है कि 1350 करोड़ रुपए की वसूली नहीं होती है तो संबंधित खदान मालिकों पर केस कर उनकी संपत्ति कुर्क की जाए। यदि कहीं खदान या काम करके मालिक जा चुका है तो भी उसके खिलाफ नोटिस जारी कर केस दर्ज कराया जाए। यदि खदान चल रही है तो उसके संचालक को तुरंत नोटिस देकर खदान बंद करने के कदम उठाए जाएं। इस पर महीने के अंत में समीक्षा बैठक भी की जाएगी।
जिन आपत्तियों पर जवाब नहीं, उनकी पहले समीक्षा
कैग रिपोर्ट से लेकर ग्वालियर एजी तक की ऑडिट आपत्तियों के आधार पर हर जिले की 15 साल की आर्थिक स्थिति को खंगाला जाने लगा है। इसमें जिन ऑडिट आपत्तियों में विभाग ने कोई जवाब पेश नहीं किया, उन्हें सबसे पहले समीक्षा में रखना तय किया है। वहीं जिन मामलों में ऑडिट आपत्तियां पर जिला या विभाग स्तर पर जवाब दिया है, उनमें यदि कार्रवाई या वसूली लंबित है तो उन्हें भी देखा जाएगा।
कैग ने भी लगाई हैं कई आपत्तियां
15 साल में ऑडिट आपत्ति में अडानी, अंबानी से लेकर शिवा कॉरपोरेशन तक की खदानें उलझी हैं। इनके सहित अनेक बड़े समूहों की खदानों पर कैग और ग्वालियर अकाउंटेंट जनरल ने करोड़ों की ऑडिट आपत्तियां लगाई थीं। सबसे ज्यादा आपत्ति खनन के बाद विकास के लिए दी जाने वाली राशि नहीं चुकाने और खनन में सही राजस्व नहीं लेने को लेकर है। इन सभी आपत्तियों को अब निकाल लिया गया है। करीब तीन दर्जन बड़े समूहों की कंपनियां अब इस जांच के दायरे में आ रही हैं। इसलिए एक-दो महीने में इन पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
शासन के निर्देश पर जांच
-15 साल में दस करोड़ रुपए से ज्यादा ऑडिट आपत्ति और गड़बड़ी वाले मामलों की शासन के निर्देश पर जांच की जा रही है। सभी जिलों को निर्देश दिए हैं।
- नीरज मंडलोई, प्रमुख सचिव, खनिज विभाग, मप्र
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