
भोपाल। उदय सिंह शेखावत जिन्हें महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के लोग भय्यूजी महाराज के नाम से जानते हैं। एक गृहस्थ संत जिसके भक्तों में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी से लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत तक शामिल हैं। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी जिनके काफी करीबी माने जाते हैं, मंगलवार को उनके खुद को गोली मारकर आत्महत्या की खबर सभी के लिए चौंकाने वाली है। इस घटना के पीछे का कारण क्या हैं, ये पूरी तरह सामने आना अभी बाकी हैं, लेकिन उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ ऐसे पहलू जिनसे शायद आप वाकिफ न हों, हम आपको यहां बताने जा रहे हैं।
भय्यूजी महाराज उन्हीं 5 संतों में से एक थे, जिन्हें शिवराज सरकार द्वारा मध्यप्रदेश में राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था, हालांकि उन्होंने उसे ठुकरा दिया था। 29 अप्रैल 1968 को मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के शुजालपुर में जन्मे भय्यूजी महाराज के चहेतों के बीच धारणा है कि उन्हें भगवान दत्तात्रेय का आशीर्वाद हासिल है। महाराष्ट्र में उन्हें राष्ट्र संत का दर्जा मिला हुआ था। वह सूर्य की उपासना करते थे इतना ही नहीं उनके पास घंटों जल समाधि करने का भी अनुभव था। भय्यूजी महाराज का राजनीतिक क्षेत्र में खासा प्रभाव रहा है। वैसे तो मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की राजनीति में भय्यू जी महाराज गाहे बगाहे नजर आ ही जाते थे, लेकिन वे उस वक्त पहली बार देश भर में चर्चा का केन्द्र बन गए थे जब उन्होंने दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे का अनशन तुड़वाया था।
एक ऐसा संत जो कभी मॉडलिंग करता था!
भय्यू जी महाराज की लाइफस्टाइल हमेशा ही चर्चाओं में रही है। भय्यूजी महाराज गृहस्थ जीवन में रहते थे, लेकिन फिर भी उन्होंने संत जैसी जिंदगी ही बिताई। भय्यू जी के नाम के आगे महाराज जरूर लगा था लेकिन वे अक्सर ही ट्रैक सूट में भी नजर आते थे और पैंट-शर्ट में भी। कभी वह एक किसान की तरह वह अपने खेतों को जोतते-बोते नजर आते थे तो कभी बढ़िया क्रिकेट खेलते हुए उन्हें देखा गया है। घुड़सवारी और तलवारबाजी में वह माहिर तो थे ही बहुत कम लोग जानते हैं कि वे कविताएं भी लिखते थे।
ये बात सुनने में आपको थोड़ा और हैरत में डाल देगी कि किसी जमाने में भय्यू जी महाराज ने एक मशहूर फैब्रिक ब्रांड के लिए मॉडलिंग भी की थी। कभी मॉडल रहा ये संत अब इस दुनिया में नहीं है। कहा जाता है कि भय्यू जी महाराज एक बहुत अच्छे फेस रीडर भी थे।
सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे
अपनी लाइफस्टाइल की तरह भय्यूजी महाराज की सोच भी बाकी संतों से अलग थी। वह हमेशा से पद, पुरस्कार, शिष्य और मठ के विरोधी रहे। उनका कहना था कि देश से बड़ा कोई मठ नहीं होता है। व्यक्तिपूजा को वह अपराध की श्रेणी में रखते थे। भय्यूजी महाराज ने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और समाज सेवा के लिए कई बड़े कार्य किए।
उन्होंने महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के पंडरपुर में रहने वाली वेश्याओं के 51 बच्चों को पिता के रूप में अपना नाम दिया था। बुलडाना जिले के खामगांव में उन्होंने आदिवासियों के बीच 700 बच्चों का आवासीय स्कूल बनवाया था। इस स्कूल की स्थापना से पहले जब वह पार्धी जनजाति के लोगों के बीच गए तो उन्हें पत्थरों से मार कर भगा दिया गया था, लेकिन उन्होंने फिर भी हिम्मत नहीं हारी और उनका भरोसा जीता।
रिश्तों में रहा विवादों का असर
हालांकि अपने निजी जीवन में भय्यू जी महाराज को कई बार विवादों का सामना करना पड़ा। माना जा रहा है कि उनकी आत्महत्या का कारण भी कोई पारिवारिक विवाद ही था। बीते साल अप्रैल में भय्यूजी महाराज अपनी दूसरी शादी के दिन ही विवाद में फंस गए थे। मल्लिका राजपूत नाम की एक्ट्रेस ने उन पर 'मोहजाल' में बांधकर रखने का आरोप लगाया था। मल्लिका ने तो यहां तक कहा है कि भय्यूजी महाराज उन्हें दूसरे नंबरों से छुप छुपकर फोन लगाते हैं और परेशान करते हैं, हालांकि भय्यूजी महाराज द्वारा ऐसे किसी भी आरोप का खंडन किया गया था।
इससे पहले पहली पत्नी का निधन हो चुका है। पहली शादी से भय्यूजी महाराज की एक बेटी है, जो पुणे में पढ़ाई कर रही है। बीते साल 30 अप्रैल को ही उन्होंने डॉ. आयुषी से विवाह किया था।
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