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Thursday, July 19, 2018

शहर को डूबने से बचाने : अब अमृत प्रोजेक्ट के तहत अलग से 250 करोड़ रुपए खर्च करने की तैयारी

भोपाल. नगर निगम स्टॉर्म वाटर डे्रन के नाम पर सालाना औसतन 20 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। शायद ही शहर का कोई बड़ा नाला हो जो इस योजना में बचा हो। हैरत है कि इतने भारी-भरकम खर्च के बावजूद जरा सी बारिश में ही पूरा मोहल्ले-कालोनियां जलमग्न हो जाते हैं। 2013 से 2017 तक 100 करोड़ इसी मद में खर्च हो चुके हैं। अमृत प्रोजेक्ट के तहत 250 करोड़ खर्च करने की तैयारी है।

इसलिए कालोनियों में चलानी पड़ती है नाव
पुराना भोपाल- तीन सीढ़ी तालाब जैसी जल निकासी व्यवस्था को अतिक्रमण लील गया। ईदगाह हिल्स का पानी तालाबों की बजाय रहवासी क्षेत्रों में भर जाता है। नया शहर- रोशनपुरा से एमपी नगर, अरेरा कॉलोनी, माता मंदिर, डिपो चौराहा, भदभदा से जल निकासी के लिए 12 बड़े नाले बनाए थे। 20 साल से इनकी सफाई नहीं हुई, अतिक्रमण है सो अलग।

आउटर सिटी- दस साल में पुराने मास्टर प्लान के आधार पर होशंगाबाद रोड, कटारा, कोलार, इंदौर रोड पर बेतरतीब कॉलोनियां बनी हैं। इससे बारिश का पानी कॉलोनियों में ही जमा हो रहा है।

नालों पर खर्च की गई राशि
7.47 करोड़ रुपए फरवरी 2018 में रिवेरा टाउन से पत्रकार कॉलोनी का नाला, सुदामा नगर से लुमिनी परिसर नाला, भदभदा विश्राम घाट से राजीव नगर नाला पर खर्च।
28.68 करोड़ से शाहपुरा सीवर, पंचशील नगर सीवर, स्लॉटर हाउस से पातरा सीवर व संजय नगर सीवर का काम।
13.08 करोड़ से कैंची छोला नाला, खजांची बाग नाला, कृष्णा नगर रोड साइड ड्रेन, राजेंद्र नगर, कुशीपुरा करारिया, द्वारिका नगर पर खर्च।
7.23 करोड़ में हताईखेड़ा नाला, नुपुरकुंज नाला, 11 नंबर से 12 नंबर बस स्टॉप नाला, पारुल हॉस्पिटल नाला, कब्रस्तान नाला।
01 करोड़ से अशोका विहार नाले का चैनेलाइजेशन। गुरुनानकपुरा, मुरारजी नगर, बाग दिलकुशा, बैंक कॉलोनी, बाग फरहतअफ्जा, जनता क्वार्टर्स में डे्रनेज का काम।

ऑडिट हो तो सामने आए हकीकत
अर्बन एक्सपर्ट कमल राठी का कहना है कि शासन को सही ऑडिट कराना चाहिए। इतने करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी शहर को जलभराव से राहत क्यों नहीं मिली? इसमें कई अफसर-कर्मचारी लिप्त हंै।

अब जागा निगम, पानी निकासी के बनाए रास्ते
भोपाल. बारिश से मंगलवार को बनी जल भराव की स्थिति से सबक लेते हुए बुधवार को पूरे शहर में नगर निगम की टीम ने जल निकासी के लिए रास्ते बनाए। जोन 13 के सारवान नगर में पुलिया को तोडकऱ पानी को आगे बढऩे का रास्ता बनाया। कोलार के दामखेड़ा में दो दीवारों को हटाया गया। करोंद, छोला, मंगलवारा, कोतवाली रोड, सेफिया कॉलेज रोड पर भी कई छोटी पुलिया, नालों के स्लैब को तोडकऱ जल निकासी सुनिश्चित की गई।

भोपाल का भूगोल
415 वर्गकिमी क्षेत्रफल।
6253 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी धनत्व।
36567 हेक्टेयर विकसित क्षेत्रफल होगा 2021 में, अभी 33 हजार था
81285 हेक्टेयर प्लानिंग एरिया है।
10 वर्ष में आबादी 30 से 35 प्रतिशत तक बढ़ती है।
800 हेक्टेयर पहाड़ी क्षेत्र पूरी तरह रहवासी हो गया।
18 छोटी-बड़ी जल संरचनाएं हैं।
350 स्लम एरिया में पांच लाख की आबादी रहती है।

ऐसी है संरचना
भोपाल पहाड़ी क्षेत्र पर बसा है। ये उत्तर व दक्षिण-पूर्व की ओर ढलान पर है।
पहाड़ी का उभरा हिस्सा दक्षिण-पश्चिम व उत्तर-पश्चिम की ओर है। तीन प्राकृतिक ड्रेनेज हैं। इन डे्रन और ढलान पर अतिक्रमण व निर्माण हो गए हैं।
पुराने शहर में परंपरागत तौर पर मिक्स लैंडयूज का प्रावधान है।
नया भोपाल हरा-भरा क्षेत्र है। यह आधुनिक आर्किटेक्चरल स्टाइल में है। यहां सडक़ें चौड़ी हैं।
यहां सरकारी अधिकारी-कर्मचारी का निवास है।
भेल कॉरपोरेट टाउनशिप है। यह नए भोपाल से कुछ हद तक मिलता-जुलता क्षेत्र है।

नगर निगम को नालों की बॉटम तक सफाई करना चाहिए। एक बार पूरी तरह सफाई हो जाए तो सात साल तक कुछ करने की जरूरत नहीं है। निगम के जिम्मेदार कर्मचारी-अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं लेते, जिससे जरा सी बारिश में ही नाले उफान पर आ जाते हैं।
अवनीश सक्सेना, पूर्व चीफ आर्किटेक्ट, बीडीए

नालों की सफाई पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। अमृत प्रोजेक्ट में नालों के चैनेलाइजेशन का बड़ा काम हो रहा है। आने वाले समय में शहर में जलभराव की समस्या खत्म हो जाएगी।
आलोक शर्मा, महापौर



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