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श्योपुर । मानवीय संवेदनाओं को तार तार करने वाली एक घटना शनिवार की शाम बड़ौदा तहसील के पनवाड़ गांव में देखने को मिली। जहां एक वृद्ध महिला का अंतिम संस्कार करने के लिए परिजनों ने दो घंटे इंतजार किया और जब बारिश नहीं रुकी तो तिरपाल तानकर अंतिम संस्कार करने को विवश हुए।
जिसको लेकर लोगों ने जिम्मेदारों को जमकर कोसा। खासबात यह है कि मुक्तिधाम में सुविधा अभाव के चलते पनवाड़ में बनी यह स्थिति कोई नई नहीं है। बल्कि करीब आधा सैकड़ा गांव के मुक्तिधामों के यही हाल हैं। कहीं पर अंतिम संस्कार के लिए लोगों को कीचड़ से होकर जाना पड़ रहा है, तो कहीं पर बारिश के बीच शव का अंतिम संस्कार करने के लिए घी-शक्कर डालना पड़ रही है। हद तो यह है कि बारिश से आग के बुझने पर दो दो बार चिता को अग्नि देने और केरोसिन डालकर चिता चेताने जैसी घटनाएं भी यहां घटित हो रही हैं, मगर जिम्मेदार मौन बने हुए हैं। जबकि ग्रामीणजन कई कई दफा इन स्थितियों को लेकर शिकायत कर आए हैं।
कई मुक्तिधाम के हाल बदहाल
जिले के सभी विकास खण्ड के गांव में मुक्तिधाम की स्थिति दयनीय बनी हुई है। जिला मुख्यालय के नजदीकी गांव प्रेमसर, विधायक के गांव दांतरदा और पास के गांव लहचौड़ा, भाजपा जिलाध्यक्ष और जिला पंचायत सदसय के गांव ढोढर के साथ ही सहसराम, चौपना आदि गांव के मुक्तिधाम नजीर के तौर पर लिए जा सकते हैं, जहां पर भी अब तक शेड नहीं है, जबकि यहां के लोगों न कई दफा इसकी शिकायत कर दी है।
कागजों में बना दिए शेड
जनपद पंचायत श्योपुर के उपाध्यक्ष प्रतिनिधि दारासिंह दहड़ावत ने बताया है कि जो जिले के मुक्तिधाम की आज यह जो स्थिति है इसके लिए कई अफसर भी जिम्मेदार हैं, जिनके द्वारा दस्तावेजों में हो चुके शेडों का धरातलीय जायजा तक नहीं लिया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि कई मुक्तिधाम में दस्तावेजों में शेड होकर उनका भुगतान वर्षों पहले हो चुका है, जबकि ग्रामीण आज भी परेशानी झेलने को विवश बने हुए हैं।
शर्मसार करने वाली दो और घटनाएं
-अभी १५ जुलाई को चौपना गांव के मुक्तिधाम में एक व्यक्ति की मौत के बाद अंतिम संस्कार करने के दौरान बारिश आ गई। जिसके बाद परिजनों को केरोसिन डालकर चिता को चेताते हुए अंतिम संस्कार करना पड़ा।
-२८ जून २०१८ को प्रेमसर में भी एक व्यक्ति की मौत हो गई, बूंदाबांदी के बंद न होने पर बारिश के बीच ही अंतिम संस्कार करना पड़ा, चिता चेतने के बाद बुझ गई, तो परिजनों को फिर चिता को अग्रि देना पड़ी।
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