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Thursday, July 26, 2018

हमीदिया अस्पताल में हड़ताल, मरीज मांगते रहे इलाज डॉक्टर हक

भोपाल. स्टायपेंड को बढ़ाने की मांग को लेकर बीते तीन दिनों से चल रही जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से हमीदिया अस्पताल में व्यवस्थाएं चरमरागई हैं। मरीजों की ना तो जांच हो रही है ना ही इलाज मिल रहा है। स्थिति यह है कि मरीज अस्पताल छोड़ जाने लगे हैं।

बुधवार को दो दर्जन से ज्यादा मरीजों ने अस्पताल छोड़ दिया। मरीजों का कहना था कि बीते तीन दिनों से ना तो समय पर दवाएं मिली ना ही उनके घावों में पट्टियां हुई है। ऐसे में कुछ दिन और अस्पताल में रुके तो उनकी स्थिति और भी गंभीर हो जाएगी।

राजगढ़ निवासी प्रकाश ने बताया कि उनके चाचा एक सप्ताह से अस्पताल में भर्ती हैं। वे दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हड़ताल के बाद उनके घावों पर पट्टियां नहीं हो रही थीं जिससे उनकी तबीयत और बिगडऩे लगी। ऐसे में हम उन्हें निजी अस्पताल ले जा रहे हैं। ऐसे ही नुसरत जहां भी अपने पति को अस्पताल से छुट्टी कराकर निजी अस्पताल ले गईं। वे सर्जरी विभाग में भर्ती थे।

ट्रेनिंग लेने आए छात्रों से कराया काम

हड़ताल के बाद शासन ने कॉलेज प्रबंधन ने वैकल्पिक व्यवस्था भी की और सभी सीनियर रेसीडेंट्स, कंसल्टेंट और प्रोफेसर की छुट्टियां रद्द कर दी।इसके साथ ही नर्सिंग स्टाफ की जगह ट्रेनिंग के लिए आए छात्र-छात्राओं को काम पर रखा गया। लेकिन इससे भी अस्पताल की व्यवस्था नहीं सुधरी।

नहीं मिल रही जांच रिपोर्ट

हड़ताल के चलते इलाजके साथ साथ सीटी स्कैन व एमआरआई जांच भी मुश्किल में पड़ गई है। यही नहीं सेंट्रल पैथॉलोजी लैब में तीन दिन से जांच रिपोर्ट का इंतजार है। यही हाल माइक्रोबायोलॉजी लैब का भी है। जांच रिपोर्ट ना मिलने से मरीजों का इलाज भी नहीं हो पा रहा।

इलाज ना मिलने से सुल्तानिया में गर्भवती की मौत

हमीदिया अस्पताल के साथ ही सुलतानिया अस्पताल में भी मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां मंगलवार रात साढ़े आठ बजे एक गर्भवती महिला की मौत हो गई। कहा जा रहा है कि समय पर इलाज ना मिलने के कारण महिला की मौत हुई है। हालांकि अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि महिला को इंदिरा गांधी गैस राहत अस्पताल से रेफर किया गया था। जब यह हमारे पास आई तो उसकी मौत हो चुकी थी।

देर रात तक चलती रही मीटिंग

इधर शासन की कार्रवाई और हाईकोर्ट के निर्देश के बाद जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन भी हड़ताल को लेकर अपनी रणनिति बनाते रहे। जूडा का कहना है कि सरकार का दमनकारी तरीके से काम कर रही है। हड़ताल को लेकर देर रात तक बैठक चलती रही।

एमपी जेडीए अध्यक्ष डॉ. सचेत सक्सेना ने कहा कि हमें हाइकोर्ट के फैसले की जानकारी नहीं है, जब तक कॉपी नहीं मिल जाती तब तक हड़ताल समाप्त नहीं होगी। डीन जीएमसी डॉ. एमसी सोनगरा ने कहा कि हमने जूडा और कर्मचारियों को पूरा मौका दिया। अब हमारे हाथ में कुछ नहीं है। जैसा शासन चाहेगा हम वह कार्रवाई हड़ताल कर रहे लोगों के िालाफ करेंगे।



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