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Saturday, August 25, 2018

10 लाख आदिवासियों को दिए जूते-चप्पलों में कैंसर वाला रसायन

भोपाल. प्रदेश में तेंदूपत्ता संग्राहकों को सरकार द्वारा पहनाए गए जूते-चप्पल में खतरनाक रसायन एजेडओ मिला है। इन जूते-चप्पल को पहनने से कैंसर होने की आशंका है। यह खुलासा सीएसआइआर (वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद) के केंद्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान, चैन्नई ने किया है।


मुख्यमंत्री ने 20 मई को शिवपुरी के पोहरी में बड़ा कार्यक्रम कर तेंदूपत्ता संग्राहकों को जूते-चप्पल, पानी बॉटल और साड़ी बांटने की शुरुआत की थी। सरकार अब तक सवा 10 लाख आदिवासियों को जूते-चप्पल पहना चुकी है। हालांकि अब लघु वनोपज संघ ने वितरण रोक दिया है। संघ के पास अभी लगभग 11 लाख जूते-चप्पल बांटने के लिए स्टॉक में हैं। संबंधित कंपनी इन्हें वापस लेने तैयार नहीं है।

त्वचा के कैंसर का खतरा ज्यादा
केन्द्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. केजे श्रीराम ने बताया, जूते-चप्पल के अंदर काले रंग के तलवे (इनर सोल) में एजेडओ रसायन मिला है। पांव में कांटा लगने, कटने या छाले पडऩे पर यह शरीर में चला जाता है। पसीना आने पर भी यह रसायन त्वचा में जा सकता है। नतीजन त्वचा का कैंसर होने की आशंका ज्यादा रहती है। छह माह में असर नजर आता है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 23 जून 1997 को एजेडओ डाई के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया था।

विशेषज्ञों के अनुसार, कपड़े, जूते-चप्पल और फैशन एसेसरीज में जिन रंगों का उपयोग होता है, उसे एजेडओ कहते हैं। इन्हें एजेडओ व एंथ्राक्वीनाइन नामक कैमिकल से बनाया जाता है। कई बार एजेडओ कंपाउंड क्रिया कर अमीनों ग्रुप बना लेते हैं, जिन्हें एमाइन कहते हैं। एेसे में कुछ एमाइन रंग कैंसर कारक हो जाते हैं।

सरकार जिन्हें जूते-चप्पल बांट चुकी है, उनसे अब ये लेना मुमकिन नहीं। ऐसा करने पर वनोपज संघ को हितग्राहियों के घर-घर जाना होगा। यह भी तय नहीं है कि वे जूते-चप्पल वापस करेंगे या नहीं। यदि कैंसर का खतरा बताकर जूते-चप्पल वापस लिए जाते हैं तो हितग्राहियों में सरकार के खिलाफ नाराजगी बढ़ सकती है।

 

बड़ा सवाल: पहले वितरण, फिर जांच
सरकार ने जूते-चप्पल बांटने का काम 22 मई से शुरू कर दिया था, जबकि केन्द्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान को जांच के लिए सैंपल 18 जून को भेजे गए। 27 जून को संस्थान ने रिपोर्ट में बताया कि इन जूते-चप्पल से पहनने वालों को कैंसर होने की आशंका है। मप्र लघु वनोपज संघ अध्यक्ष महेश कोरी का कहना है कि जांच रिपोर्ट क्या आई है मुझे नहीं पता। खरीदी के समय अधिकारियों ने कहा था कि जूते-चप्पल स्वास्थ्य की दृष्टि से सुरक्षित हैं।

अगर गड़बड़ी हुई है तो अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। निगम के महाप्रबंधक (विपणन) जीएन साहू ने बताया कि कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने का मामला शासन स्तर पर विचाराधीन है। एजेडओ जिनमें पाया गया था, उन्हें कंपनी को वापस करने कहा है। हमने यह शर्त डाली थी कि जो जूते जांच में रिजेक्ट होंगे, उन्हें कंपनी को वापस लेना होगा।



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