
भोपाल. राजधानी के मुख्य मार्गों समेत अस्पताल, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, बाजार समेत अन्य सार्वजनिक स्थलों पर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्याऊ बनाए गए हैं, यहां वॉटर कूलर की भी व्यवस्था नगर निगम एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा की गई है, पर प्याऊ के आसपास पसरी गंदगी से न केवल पेयजल दूषित हो रहा है.
बल्कि इन प्याऊ के आसपास जलजमाव एवं गंदगी के कारण मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ गया है। नगर निगम की अनदेखी का आलम ये है कि न तो इन प्याऊ के आसपास सफाई कराई जाती है और प्याऊ के जरिये उपलब्ध कराए जाने वाले पानी की शुद्धता को लेकर जिम्मेदारी गंभीर हैं। अधिकतर प्याऊ के नल या तो खराब हैं या चोरी कर लिए गए हैं। प्याऊ के आसपास पसरी रहने वाली गंदगी से आसपास के रहवासी एवं दुकानदार खासे परेशान हैं।
लाइव-एक
हमीदिया अस्पताल सुबह 11 बजे
हमीदिया अस्पताल में रोजाना सैकड़ों मरीजों एवं उनके परिजनों की आमद रहती है। यहां आने वालों को पेयजल मुहैया कराने के लिए प्याऊ बनाई गई हैं, पर सफाई नहीं होने से इनके आसपास गंदगी फैली रहती है। लापरवाही ऐसी है कि प्याऊ के पास ही न केवल कपड़े धोए जाते हैं, बल्कि जूठे बर्तन साफ होते हैं। प्याऊ से निकलने वाले पानी की निकासी की भी पुख्ता व्यवस्था नहीं है। नतीजतन कई मरीज एवं उनके परिजन दुकानों से बोतलबंद पानी खरीदकर लाते हैं। वहीं अधिकतर यही पानी पीने को मजबूर हैं।
लाइव-दो
रेलवे स्टेशन दोपहर 12 बजे
भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर यात्रियों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कई वॉटर कूलर एवं नल लगाए गए हैं, पर इनके आसपास फैली रहने वाली गंदगी के कारण यात्री इस पानी का उपयोग करने से बचते हैं। हालांकि अधिकतर यात्रियों के पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं होता, लिहाजा गंदगी से घिरी प्याऊ और वॉटर कूलर से ही पीने के लिए पानी भरा जाता है। प्लेटफार्म पर पसरी अव्यवस्थाओं का फायदा वेंडर उठा रहे हैं और तय कीमत से अधिक में पानी की बोतल बेची जा रही है।
लाइव-तीन
नादरा बस स्टैंड
दोपहर ०2 बजे
नादरा बस स्टैंड पर यात्रियों को पेयजल मुहैया कराने के उद्देश्य से दो प्याऊ बनाई गई हैं। इनमें से एक का निर्माण नगर निगम ने किया है तो दूसरे का निर्माण समाजसेवी संस्था द्वारा। इन दोनों ही प्याऊ से नल ही गायब कर दिए गए हैं। बमुश्किल एक नल से ही पानी है, जिससे लोग अपनी प्यास बुझाते हैं। इन दोनों ही प्याऊ के आसपास कचरा एवं गंदगी फैली रहती है। पानी की निकासी नहीं होने से प्याऊ से निकलने वाला पानी भी यहीं जमा होता है, जिससे मच्छर और मक्खी पनप रहे हैं। मजबूरन यात्री आसपास की चाय-नाश्ते की दुकानों एवं बोतलबंद पानी पर ही निर्भर हैं।
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