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Friday, August 24, 2018

स्टेशन की सुरक्षा अधर में एंट्री के कई रास्ते हैं यहां

केस-एक
सात मार्च २०१७ को भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में शाजापुर के पास ब्लास्ट के बाद पड़ताल में सामने आया कि ट्रेन में भोपाल स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर छह से आतंकियों ने विस्फोटक रखा था। इसकी जानकारी समय रहते पुलिस, जीआपी एवं आरपीएफ को नहीं लग सकी। इसके बाद आरपीएफ इसकी वजह रेलवे स्टेशन के चारों ओर से खुला होना बताया था।
केस-दो
अप्रैल २०१७ में एक युवक देशी कट्टा लेकर प्लेटफार्म एक में घुस गया था। जिसे आरपीएफ कांस्टेबल हरिराम ने पकड़ लिया, पर मौका देखते ही आरोपी कांस्टेबल की पकड़ से छूटकर भागने में कामयाब हो गया। पुलिस को मौके से तीन जिंदा कारतूस एवं एक खाली खोखा भी मिला था। यदि स्टेशन कवर्ड होता तो आरोपी को पकड़ा जा सकता था।
केस-तीन

कुछ दिन पूर्व कछूए ले जा रहे बदमाश रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। पुलिस को इनकी मौजूदगी की भनक लगते ही बदमाश बैग छोड़कर रफूचक्कर हो गए। आरपीएफ जवानों के मौके पर पहुंचने पर ये स्टेशन परिसर खुला होने का फायदा उठाकर भागने में कामयाब हो गए। सीसीटीवी कैमरों में इन बदमाशों के स्टेशन पहुंचने की पुष्टि हुई है।

भोपाल. नवाबी शासनकाल से ही देशभर में अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखने वाले भोपाल रेलवे स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्था इन दिनों अधर में है। इसकी वजह स्टेशन का चारों ओर से कवर्ड नहीं होना है। नतीजन स्टेशन तक पहुंचने के लिए दोनों ओर से कई रास्ते हैं। असामाजिक तत्वों की आवाजाही इन स्थानों से बदस्तूर जारी रहती है। ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा पर भी सवालिया निशान लगा हुआ है। गौरतलब है कि पूर्व में भी स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता नहीं होने का फायदा असामाजिक तत्व उठा चुके हैं। रेल सलाहकार समिति ने प्लेटफार्म एक और छह को कवर्ड करने की मांग की थी, लेकिन इसे दरकिनार किया हुआ है। प्लेटफार्म नंबर छह पर पिक एंड ड्रॉप सुविधा मुहैया कराने के बाद से प्लेटफार्म तक अवांछित लोगों की एंट्री को रोकने में खासी समस्या हो रही है। कमोबेश यही स्थिति प्लेटफार्म नंबर एक की ओर भी है, यहां से भी प्लेटफार्म तक पहुंचने के कई रास्ते हैं। रेलवे प्रबंधन द्वारा इन रास्तों को बंद नहीं किया जा सका है। गौरतलब है कि पिछले साल भोपाल-उज्जैन पैसेंजर में हुए ब्लास्ट के बाद स्टेशन को कवर्ड करने का मुद्दा जोर शोर से उठाया गया था। वहीं जीआरपी एवं आरपीएफ एवं स्थानीय पुलिस का हमेशा से ही यही कहना है कि रेलवे स्टेशन चारेां ओर से खुला होने के कारण इसका फायदा असामाजिक तत्व उठाते हैं। साथ ही निगरानी में भी खासी दिक्कत आ रही है।

प्लेटफार्म टिकट के बगैर एंट्री
प्लेटफार्म एक और छह की ओर तीन से चार एंट्री पॉइन्ट हैं। इसकी वजह से यात्रियों को छोडऩे आने वाले अधिकतर लोग बगैर प्लेटफार्म टिकट के ही एंट्री कर जाते हैं। खास बात है कि एंट्री के दौरान कहीं भी चेकिंग नहीं की जाती है। सुरक्षाकर्मियों द्वारा त्योहार आदि से पहले ही जांच अभियान चलाया जाता है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक भोपाल रेलवे स्टेशन पर रोजाना दस हजार से अधिक लोगों की आवाजाही होती है, लेकिन प्लेटफार्म टिकट बमुश्किल एक से डेढ़ हजार के बीच ही बिकते हैं।
वर्जन
भोपाल रेलवे स्टेशन का चारों ओर से खुला होना सुरक्षा के लिहाज से बिलकुल भी सही नहीं है। रेलवे प्रबंधन को पूर्व में हुई घटनाओं से सबक लेते हुए सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करना चाहिए।
पंकज चतुर्वेदी, पूर्व सदस्य, मंडल रेल सलाहकार समिति
वर्जन
स्टेशन पर चौकसी के साथ ही चेकिंग अनिवार्य की जाए। फिलहाल यहां विकास कार्य हो रहे हैं तो अस्थायी रूप से टिन की चादर से सुरक्षित किया जा सकता है, जिससे अवांछित आवाजाही न हो। प्लेटफार्म एक और छह की ओर से सिर्फ दो-दो जगह से ही निकासी होना चाहिए। जिससे जांच करना आसान हो सके।
विकास विरानी, सदस्य, मंडल रेल सलाहकार समिति
वर्जन
भोपाल और हबीबगंज स्टेशन को विकसित करने का कार्य किया जा रहा है। आने वाले समय में जल्द ही दोनों स्टेशन पूरी तरह से कवर्ड हो जाएंगे। कोई भी कहीं से भी प्रवेश नहीं कर सकेगा। दोनों बिल्डिंग का काम पूरा होने के बाद एंट्री पॉइंट तय हो होंगे।
- आईए सिद्दीकी, पीआरओ, भोपाल रेल मंडल



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