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भोपाल. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने एक बार फिर संकेत दिए हैं कि पार्टी इस बार जिला अध्यक्षों को चुनाव नहीं लड़ाएगी। शुक्रवार को राजधानी में मीडिया से चर्चा में सिंह ने कहा कि जिला अध्यक्ष का काम संगठन को मजबूत करने का होता है। आमतौर पर जिला अध्यक्षों को चुनाव में खड़ा नहीं किया जाता है, क्योंकि वे संगठन का काम देखते हैं। हालांकि बाद में सफाई दी कि यह कोई नियम नहीं है, वे खुद जबलपुर जिला अध्यक्ष रहते हुए लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं।
भाजपा में कई मौजूदा जिला अध्यक्ष विधानसभा चुनाव लडऩे का मन बना रहे हैं। इसमें मुरैना के अनूप सिंह भदौरिया, भिंड जिला अध्यक्ष संजीव कांकर, शिवपुरी जिलाध्यक्ष सुशील रघुवंशी के साथ ही सिंगरौली जिला अध्यक्ष कांति देव सिंह के नाम शामिल हैं। होशंगाबाद के जिला अध्यक्ष हरीशंकर जायसवाल भी पहले विधायक रह चुके हैं। इंदौर नगर के नए जिला अध्यक्ष गोपीकृष्ण नेमा भी टिकट की दावेदारी कर रहे थे, लेकिन उन्हें संतुष्ट करने के लिए एक महीना पहले ही जिला अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया गया है।
अध्यक्ष पद से हटाया, चुनाव का रास्ता साफ
भाजपा संगठन ने पिछले दिनों लगभग एक दर्जन जिला अध्यक्षों को बदला था। इसमें उज्जैन दक्षिण से दावेदारी कर रहे इकबाल सिंह गांधी, खरगौन के बाबूलाल महाजन और राजगढ़ के बद्रीलाल यादव शामिल हैं। पार्टी इनको जिला अध्यक्ष से हटाने के बाद चुनावी मैदान में उतार सकती है।
सुरेंद्र नाथ सिंह के टिकट पर सवाल
भोपाल शहर जिला अध्यक्ष सुरेंद्रनाथ सिंह 'मम्माÓ भोपाल-मध्य सीट से विधायक भी हंै। प्रदेश अध्यक्ष के सख्त रवैये के बाद मम्मा के टिकट पर भी सवाल उठ रहा है। इस मामले में सुरेंद्रनाथ ङ्क्षसह का कहना है कि उन्हें भविष्य में क्या करना है, इसका निर्णय पार्टी करेगी। पार्टी चुनाव लडऩे को कहेगी तो लड़ेंगे, जिला अध्यक्ष का काम करने को कहेगी तो पहले की तरह करते रहेंगे। उनका इस मामले में खुद का कोई निर्णय नहीं है। उधर, मध्य सीट पर भाजपा के कई दावेदार सक्रिय हैं, जिसमें भोपाल सांसद आलोक संजर, राहुल कोठारी, धु्रवनारायण ङ्क्षसह के नाम शामिल हैं।
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