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भोपाल. एमपी नगर मल्टीलेवल पार्किंग के बाद अब हरियाली खत्म करने की योजना आसपास के बड़े क्षेत्र के लिए भी है। निगम के सिविल इंजीनियरिंग विभाग ने शुक्रवार को भी दुकानों के सामने से पेड़ों की कटाई की। बरगद, पीपल प्रजाति के पेड़ों के कटने के बाद दो किमी के दायरे में जमीन पर सीमेंटेंड परत ही नजर आएगी। इक्का-दुक्का जगह छोड़ दें तो यहां की हरियाली खत्म हो चुकी है।
मल्टीलेवल के आसपास करीब 80 पेड़ हैं, जिनमें से 90 फीसदी को जड़ से काटा जा रहा है। इनकी जड़ों में सीमेंट-कांक्रीट डालने की योजना है, ताकि दुकानदारों को अपनी दुकान के सामने कीचड़ न मिले। नगर निगम की उद्यान शाखा उपायुक्त बीडी भूमरकर का कहना है कि वे इनकी अनुमति दिखवा रहे हैं। उनके कार्यभार संभालने के पहले ही जारी हुई होगी।
एमपी नगर में 2005 में सीमेंट-कांक्रीटीकरण शुरू हुआ था। इससे बारिश का पानी मिट्टी को छू भी नहीं पाता, जिससे पेड़ धीरे-धीरे सूखने लग हैं। रहवासियों के अनुसार जमीन में बारिश का पानी नहीं उतर पाने का असर इस क्षेत्र के भूजल स्तर पर भी हुआ। यहां 600 फीट गहराई में भी पानी नहीं है।
होशंगाबाद रोड से हटाए थे 3200 पेड़: होशंगाबाद रोड से 3200 पेड़ हटाकर बीआरटीएस बना। विरोध पर दोनों ओर तीन-तीन मीटर का रनिंग पार्क विकसित किया, लेकिन जिस तरह के पेड़ काटे गए, वैसे नहीं लगा पाए।
दस नंबर क्षेत्र में भी सीमेंटीकरण : अरेरा कॉलोनी ई-4 इलाके का बड़ा बाजार दस नंबर भी बिट्टन तक पूरी तरह से सीमेंटेड हो चुका है। यहां हरियाली पहले की अपेक्षा 50 फीसदी बची है।
क्षेत्र जिनके ग्रीन बेल्ट कर रहे खत्म
पोलीटेक्निक चौराहा से भदभदा के बीच 250 से अधिक पेड़ काटे।
एमपी नगर में मल्टीलेवल पार्किंग के लिए 200 से अधिक पेड़ काटे जा चुके हैं।
राजभवन में निर्माण के लिए 21 पेड़ काटे जा रहे हैं।
शौर्य स्मारक के लिए अरेरा हिल्स पर 6000 पेड़ काटे गए थे।
वल्लभ भवन एक्सटेंशन के लिए 800 पेड़ काटे गए।
नर्मदा प्रोजेक्ट की लाइन बिछाने के लिए 1200 पेड़ काटे गए थे।
जिम्मेदार बोले- पांच पेड़ लगवा तो रहे हैं
जब निगमायुक्त अविनाश लवानिया से पूछा गया कि मल्टीलेवल पार्किंग के आसपास के पेड़ों को बचाया नहीं जा सकता है? इस पर उनका जवाब था कि नियमानुसार एक के बदले पांच पेड़ लगाए जाएंगे। जहां तक संभव होगा पेड़ों की ट्रिमिंग की जाएगी। ( जो सिविल इंजीनियरिंग विभाग इन पेड़ों को जल्द से जल्द कटवाने की कोशिश कर रहा है, अभी उिसका जिम्मा सीधे निगमायुक्त के पास ही है।)
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