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भोपाल। सरकार बदलते ही हाउसिंग सोसायटियों को लेकर मामला गरमाता जा रहा है। रोहित और गौरव गृह निर्माण समिति के बाद सहकारिता विभाग ने जिले की 560 हाउसिंग सोसायटी की जांच कराई तो पता चला कि 200 सोसायटियां ही समय पर ऑडिट करा रही हैं और अपना रिकॉर्ड दे रही हैं। बाकी सोसायटी न तो ऑडिट करा रही हैं और न इनके अध्यक्ष नोटिस का जवाब दे रहे हें। जवाब न देने वाली समितियों के मामले में अंकेक्षण अधिकारियों से जांच कराई तो बड़ी संख्या में सोसायटियां पते पर नहीं मिलीं। प्लॉट और भवन में गडबड़ी करने के बाद अब कार्रवाई के डर से ज्यादातर सोसायटियों ने कार्यालय तक बंद कर दिए।
सौरभ भेल श्रमिक गृह निर्माण, बीएचईएल कर्मचारी सहकारी संस्था, वेलकम सहकारी संस्था, पूजा गृह निर्माण सहकारी संस्था सहित अन्य सोसायटियां लंबे समय से ऑडिट नहीं करा रहीं थीं। सरकार बदलने के बाद आनन-फानन में अंकेक्षण अधिकारी लगाकर जब इन सोसायटियों का भौतिक सत्यापन कराया गया तो 120 से ज्यादा तो पते पर ही नहीं मिलीं। इनमें बड़ी संख्या में वे सोसायटियां हैं जिनकी शिकायत पीडि़त पक्ष लंबे समय से करते आ रहे हैं। कभी जनसुनवाई तो कभी कहीं इन सोसायटियों के अध्यक्षों के खिलाफ प्लॉट न देने शिकायतें होती रहती हैं। लेकिन कार्रवाई किसी पर नहीं होती। अब सरकार बदलते ही पीडि़त लोगों में एक बार फिर से न्याय की आस जागी है। शिकवे शिकायतों का दौर शुरू हो गया है।
पांच लाख का जुर्माना और 3 साल सजा का प्रावधान है
सोसायटी रजिस्टर्ड कराने के बाद ऑडिट से लेकर चुनावों तक की जानकारी न देने पर सहकारिता अधिनियम 1960 की धारा 76/2 के तहत कार्रवाई की जाती है। जिसमें पांच लाख का जुर्माना और तीन साल की सजा का प्रावधान है। साथ ही 56 (3 ) के तहत अध्यक्ष को हटाने की कार्रवाई की जाती है।
जो सोसायटियां समय पर ऑडिट नहीं करा रही हैं, रिकॉर्ड नहीं दे रही हैं। उनके खिलाफ सहकारिता विधान के तहत कार्रवाई की जावेगी।
अखिलेश चौहान, सहायक आयुक्त, सहकारिता विभाग
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