
बूढ़ादीत . कुछ दिन पहले रणथंभौर अभयारण्य को छोड़कर आए बाघ 'टी-110Ó को चंबल की बीहड़ रास आने लगी। एक सप्ताह से इसने खेड़ली तंवरान से मण्डावरा के बीच खाड़ी के सहारे ठिकाना बना रखा है। एक दिन के अंतराल में पगमार्क मिल रहे हैं। शुक्रवार रात खेड़ली तंवरान गांव से कुछ दूर स्थित खाड़ी के दूसरे छोर पर झोटोली की ओर बाघ ने नील गाय का शिकार किया।
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वन विभाग की टीमें ट्रेकिंग के दौरान खाड़ी पार कर पगमार्क के सहारे आगे बढ़ी तो कुछ ही दूरी पर नील गाय का सिर मिला तथा पास ही खाए हुए धड़ के अवशेष मिले। इसके बाद विभाग ने बाघ द्वारा नील गाय के शिकार की पुष्टि की। बंूदी जिले के नौताड़ा से चंबल पार 19 जनवरी की रात को मोराना होता हुआ मण्डावरा से खेड़ली तंवरान के जंगल में यह बाघ पहुंचा था। तभी से इस क्षेत्र को बसेरा बना रखा है। यहां पीने के लिए पानी, खाने के लिए शिकार व चलने के लिए पगडंडियां मिलने से बाघ यहीं का होकर रह गया। उसके इस क्षेत्र में ठहरने के संकेत मिल रहे हैं।
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नहीं आ रहा झांसे में
आबादी क्षेत्र से सटे जंगल में बाघ के मूवमेंट के बाद बस्तियों व बाघ की सुरक्षा के मद्देनजर वन विभाग ट्रंकुलाइज करने की कोशिश में है। पगमार्क के आधार पर पिछले दो दिन से शिकार बांध कर ललचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन बाघ ने बांधे हुए शिकार के पास नहीं आया, बल्कि उससे कुछ ही दूरी पर नील गाय का शिकार किया।
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समूह में पहुंचे किसान
बाघ के क्षेत्र में होने की सूचना के बाद ही किसान डर के कारण खेत में नहीं जा रहे थे। लेकिन आवारा मवेशियों के द्वारा फसलों में किए जा रहे नुकसान से परेशान किसान समूह बनाकर हाथों में लकडिय़ां लेकर रविवार को खेतों में पहुंचे। फसलों में खराबे को देखकर चिन्तत हुए।
दो दिन पहले बाघ ने नील गाय का शिकार किया है। विभागीय टीमें नियमित ट्रेकिंग कर रही हैं। रविवार को कोई मूवमेन्ट नहीं मिला। अलग-अलग क्षेत्रों में टीमें विभाजित कर निगरानी के प्रयास किए जा रहे हैं।
रघुवीर मीणा, रेंजर, सुल्तानपुर
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