MP E-Tendering Scam: कमीशन लेकर खरे दिलाता था टेंडर, गिरफ्तार - Hindi Breaking Newz T20 For

Home Top Ad

Responsive Ads Here

Post Top Ad

Thursday, May 30, 2019

demo-image

MP E-Tendering Scam: कमीशन लेकर खरे दिलाता था टेंडर, गिरफ्तार

Responsive Ads Here
e-tender_scam_update_4640274-m

भोपाल. ई-टेंडर घोटाले में ईओडब्ल्यू ने एक और आरोपी मनीष खरे को गिरफ्तार कर लिया है। मनीष माइल स्टोन बिल्डर्स एंड डेवलपर्स, माइल स्टोन इंपोर्ट एंड एक्सपोर्ट, माइल स्टोन मार्केट एंड डेवलपर नामक तीन कंपनियों का संचालन करता था। साथ ही वह ई-टेंडर घोटाले की मुख्य आरोपी ऑस्मो आइटी सॉल्यूशन कंपनी के साथ मिलकर बड़ी कंपनियों को टेंडर दिलाता था। इसके बदले में कंपनियों से कमीशन लेकर ऑस्मो के संचालकों और संबंधित विभागों के अफसरों तक बांटता था।

आरोप है कि मनीष मध्यस्थता करता था और कंपनियों को क्लाइंट बनाकर टेंडर दिलवाता था। बुधवार को ईओडब्ल्यू ने उसे 31 मई तक की रिमांड पर ले लिया है। ईओडब्ल्यू को जांच में प्रमाण मिले थे कि खरे ने बड़ौदा की सोरठिया वेलजी कंपनी को जल संसाधन विभाग द्वारा मार्च 18 में निकाले गए टेंडर नंबर 1044 दिलवाया। इसकी वेल्यू 105 करोड़ थी।

इसके लिए मनीष ने ऑस्मो आइटी कंपनी के वरुण चतुर्वेदी, विनय चौधरी व सुमित गोलवलकर के साथ मिलकर टेंडर में टेंपरिंग की थी। सोरठिया वेलजी एंड रत्ना कंपनी को यह टेंडर दिलाने के बदले में मनीष को 1 करोड़ 23 लाख रुपए दलाली मिली थी। जांच में सामने आया है कि उसने 22 लाख रुपए नकद लिए और 1 करोड एक लाख रुपए खातों में ट्रांसफर किए गए।

अब तक क्या हुआ

सभी आरोपी कंपनियों को नोटिस थमाया जा चुका है। निजी कंपनियों में ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन के तीन, एंटारस सिस्टम्स कंपनी के एक, एसईडीसी के एक अधिकारी को गिरफ्तार किया जा चुका है। सभी जेल में हैं। मनीष की छठवें आरोपी के रूप में गिरफ्तारी की गई है।

तीन टेंडर दिलाए मनीष खरे ने

मनीष आइआइटी कानपुर का छात्र रह चुका है। उसने 2015 में माइल स्टोन बिल्डर्स एंड डेवलपर्स, माइल स्टोन इंपोर्ट एंड एक्सपोर्ट, माइल स्टोन मार्केट एंड डेवलपर नामक तीन कंपनियां बनाई थी। वह 2016 में ऑस्मो आईटी कंपनी के संपर्क में आ गया। धीरे-धीरे मनीष ने ऑस्मो आईटी कंपनी को क्लाइंट देना शुरू कर दिया।

ईओडब्ल्यू की पूछताछ और जांच में सामने आया है कि मनीष ने सोरठिया वेलजी सहित अन्य कंपनियों को ऑस्मो आईटी कंपनी के साथ मिलकर टेंडरों में टेंपरिंग करवाकर कुल तीन टेंडर दिलवाए। बताया जा रहा है कि जल संसाधन विभाग का टेंडर नंबर 1044 में सोरठिया वेलजी एंड रत्ना कंपनी चौथे नंबर पर थी।

इस टेंडर में टेंपरिंग से पहले न्यूनतम बिड वेल्यू 116 करोड़ थी, जिसे बदलने (टेंपरिंग) के बाद सोरठिया वेलजी पहले पायदान पर आकर एल-1 हो गई और टेंडर हासिल कर लिया। इसी तरह टेंडरों में गड़बड़ी कर दो अन्य टेंडर और मनीष ने दिलवाए हैं।

विवि को मिला यूजीसी का अनुदान भी जांच के दायरे में

माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि के पूर्व कुलपति प्रो बीके कुठियाला की मुश्किलें और बढ़ रही हैं। सरकार के कड़े रुख के बाद ईओडब्ल्यू ने विवि में हुए फर्जीवाड़े पर और शिकंजा कसने की तैयार की है।
सूत्रों का कहना है कि 19 प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और रीडर का रेकॉर्ड जब्त कर स्टाफ से पूछताछ की गई थी। इसके बाद कुठियाला के कार्यकाल की भर्तियों, भुगतान, खर्चे, टूर, अध्ययन केंद्रों की अनुमतियां आदि की जांच की गई। इसमें कई बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा होगा।

यूजीसी से मिले अनुदान को भी जांच में शामिल किया है। जांच में पता चला है कि कुठियाला के कार्यकाल में मिले अनुदान कुछ निजी शैक्षणिक संस्थाओं को जारी कर दिया गया है जबकि विवि की फैकल्टी अन्य संस्थाओं से रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए अनुदान लेकर आती है। विवि के पैसे अन्य शैक्षणिक संस्थाओं को दिए हैं। इनमें वर्कशॉप, सेमिनार, संगोष्ठी आदि कार्यों के लिए जो पैसे जारी किए गए हैं, उस पर भी जांच की जा रही है। उनका कुठियाला से क्या तालमेल था? इसे भी जांच में शामिल किया गया है।

इन बिंदुओं पर पूछताछ

  • अध्ययन केंद्र खोलने में अनियमितता।
  • टूर बिल, टूर पर हुए खर्च की अनुमतियां।
  • लिकर कैबिनेट की अनुमति किसने दी।
  • विवि के पैसे अन्य संस्थाओं को किसकी अनुमति से दिए।
  • निजी घर में ट्यूबवेल किसकी अनुमति से करवाया।
  • लैपटॉप और आइफोन विवि में जमा क्यों नहीं किए।
  • किसकी अनुमति से टूर किए गए, विवि को क्या लाभ हुआ?


from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2HJVeUj

2 comments:

  1. Become_a_Partner_To_Start_Your_Own_DSC_Business_Earn_More_Money+%285%29

    Digital Signatures are a statutory requirement for many government applications today. We offer solutions for signing documents, pdf, texts, folders, any message or data, online or offline. We provide digital signing services for enterprises, resellers, partners and end-users. Digital Signature, eSign, eMandate and PKI are part of our services. Our PKI solution is a useful tool for enterprises and businesses. It makes the sharing of confidential information secure and verified. We have solutions that are cost-efficient and simple. Be it banking or tax filing, we provide digital solutions for all. Daily hassle of work, bill payment, self-attestation of documents, bank updates etc is easily manageable with Capricorn CA.

    ReplyDelete
  2. Become_a_Partner_To_Start_Your_Own_DSC_Business_Earn_More_Money+%285%29

    Thanks for sharing such a great information about e-tendering.

    Click here to get a class 3 digital signature certificate for etender that will authenticate your identity to verify your tender submission successfully.

    If you want to buy digital signature or wants to know more about dsc please visit us.

    ReplyDelete

Post Bottom Ad

Pages