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Monday, January 28, 2019

OMG: खून से सना है कोटा का यह हाइवे, बुझ गए 37 परिवार के चिराग

कोटा. पुलिस परिवहन विभाग और राजमार्ग प्रशासन के लाख प्रयासों के बाद भी सड़कों पर हादसे नहीं थम रहे हैं। जिलेभर में ओर-छोर फैले स्टेट और राष्ट्रीय राजमार्गों पर लगता है जैसे आमजन सुरक्षित ही नहीं है। कहीं लापरवाही पूर्वक अंधाधुंध वाहन चलाना लोगों की जान ले रहा तो कहीं सड़क इंजीनियरिंग में बरकरार खामियां। आवारा मवेशियों का तो जैसे हाइवे पर 'राज है। इनसे टकराने की घटनाएं कुछ मार्गों पर तो सर्वाधिक हैं। संकेतक न होना और चयनित स्थानों पर प्रभावी मॉनिटरिंग का अभाव भी कई मार्गों को रक्तरंजित कर रहा। किस इलाके और मार्ग पर कितना गहरा है खूनी रंग और क्या है वजह इसके 'गाढ़ेपनÓ की, पेश है पत्रिका की एक पड़ताल।

सुल्तानपुर. पुलिस व प्रशासन की अनदेखी से जिले में आए दिन हादसे हो रहे हैं। स्टेट हाइवे व सम्पर्क सड़कों पर सरपट दौड़ते वाहनों पर अंकुश लगाने की फुर्सत न तो परिवहन विभाग को है और न पुलिस प्रशासन को। ऐसे में हर दिन कोई न कोई हादसे का शिकार होकर जान गंवा रहा है।

कोटा-श्योपुर स्टेट हाइवे-70 सुल्तानपुर से कोटा मार्ग पर प्रतिमाह औसतन 2 लोगों की दुर्घटना में मौत हो रही है। सबसे अधिक हादसे मेहंदी माइनर के पास हुए हैं। गत वर्ष 2018 में कोटा-श्योपुर स्टेट हाइवे-70 पर 14 सड़क हादसे हुए, जिसमें 11 लोगों की जान गई। इसमें सुल्तानपुर थाना क्षेत्र में 14 हादसों में 8 लोगों की मौत हुई, 15 गंभीर घायल हुए। इसी तरह दीगोद थानाक्षेत्र में 3 हादसों में 3 लोगों की मौत हुई।

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हादसों के प्रमुख स्थान
सुल्तानपुर से कोटा मार्ग पर जालिमपुरा चौराहा, मेहंदी माइनर, कंवरपुरा घूम, उम्मेदपुरा मोड़, कामसपुरा, सुल्तानपुर से बड़ौद मार्ग, मोरपा-गोराजी मोड़ पर अधिक हादसे हुए हैं। जबकि, मेहंदी माइनर पर बीते 4 माह में 5 हादसे हुए।


यातायात नियमों की अवहेलना ही सड़क हादसों का कारण बनती है, वाहन चालकों को इसका पालन करना चाहिए। सड़क हादसे रोकथाम के लिए पुलिस द्वारा जागरूकता कार्यक्रम किए जाते हैं।
आनंद सिंह, थानाप्रभारी सुल्तानपुर

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रामगंजमंडी. तहसील क्षेत्र के चार पुलिस थानों में वर्ष 2018 में दुर्घटना के 81 प्रकरण दर्ज हुए। इनमें 26 जनों की मौत हुई, 94 जने गंभीर घायल हुए। सड़क दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा 15 मौत राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर हुई।

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दुर्घटना जोन 01 : यातायात के लिहाज से सबसे व्यस्त रामगंजमंडी से कुदायला व पारसा माता चौराहे से कुंभकोट सड़क है। इस पर औद्योगिक इकाइयां लगी हैं। औद्योगिक क्षेत्र की सड़क के रूप में इस मार्ग को जाना जाता है। रामगंजमंडी से कुदायला के बीच में सात मीटर सड़क है लेकिन यातायात का दबाव ज्यादा होने से सुबह व शाम के समय इस मार्ग पर दुर्घटनाएं होती हैं। इसी तरह प्रधानमंत्री सड़क योजना में निर्मित पारसा माता चौराहे से कुंभकोट जाने वाली सड़क की चौड़ाई पांच से साढ़े पांच मीटर है। सड़क मार्ग पर पत्थर के लोडिंग ट्रकों की आवाजाही से यह चौड़ाई सात मीटर होना जरूरी है। चौड़ाई नहीं होने से बाइक सवार ओवर टेकिंग करते वक्त दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। सड़क मार्ग पर तेजगति से आते वाहनों की चपेट में आकर बाइक सवारों की मौत हुई हैं।

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दुर्घटना जोन 02 : क्षेत्र का दूसरा दुर्घटना जोन खैराबाद से मोड़क जाने वाली सड़क पर जवाहर नवोदय वाली सड़क का आधा किलोमीटर का हिस्सा है। इस सड़क मार्ग की चौड़ाई सात मीटर है। इसके बावजूद यहां सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं होती रही हैं। यहां सड़क पर डिवाइडर नहीं हैं। तेज रफ्तार में कई बार आमने-सामने की टक्कर यहां होती है।



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