भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हर दिन डेंगू का ख़तरा लगातार बढ़ रहा है। इस साल अप्रैल से लेकर अगस्त तक 15 लोगों को डेंगू हो चुका है। इससे पहले के वर्षों में भी डेंगू के चलते प्रदेश के कई लोग अपनी जान गवां चुके हैं।
इन सब बातों को देखते हुए जहां प्रदेश सरकार ने मच्छरदानी ख़रीदने के लिए 3 साल केंद्र से इजाज़त मांगी थी, वहीं जानकारों का मानना है इसकी इजाजत मिलने में हुई देरी ने कई लोगों को समय से पहले मौत की नींद सुला दिया। वहीं केंद्र ने अब इस प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है, ऐसे में माना जा रहा है कि मच्छरदानी ख़रीदने और उसके बाद की पूरी प्रोसेस में करीब 3 माह का समय और लगेंगा।
ऐसे पनपता है डेंगू ...
डेंगू मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। ये मच्छर दिन में, खासकर सुबह के समय काटते हैं। साथ ही ये मच्छर शुद्ध पानी में पनपते हैं, जबकि इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं।
डेंगू बरसात के मौसम और उसके फौरन बाद के महीनों यानी जुलाई से अक्टूबर में सबसे ज्यादा फैलता है, जानकारों के अनुसार इसका कारण यह है कि इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं। वहीं एडीज इजिप्टी मच्छर बहुत ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता।
ऐसे फैलता है डेंगू का वायरस...
दरअसल डेंगू वायरस डेंगू पीड़ित मरीज के खून में बहुत ज्यादा मात्रा में होता है। ऐसे में जब भी कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी मरीज को काटता है तो वह उस मरीज का खून चूसता है। तो खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता है।
इसके बाद जब डेंगू वायरस वाला वही मच्छर किसी अन्य इंसान को काटता है तो उससे वह वायरस दूसरे इंसान के शरीर में पहुंच जाता है, जिससे वह डेंगू वायरस से पीड़ित हो जाता है।
20 का खास फॉर्मूला...
डेंगू में कुछ एक्सपर्ट 20 के फॉर्मूले की बात करते हैं। अगर धड़कन यानी पल्स रेट 20 बढ़ जाए, ऊपर का ब्लड प्रेशर 20 कम हो जाए, ऊपर और नीचे के ब्लड प्रेशर का फर्क 20 से कम हो जाए, प्लैटलेट्स 20 हजार से कम रह जाएं, शरीर के एक इंच एरिया में 20 से ज्यादा दाने पड़ जाएं - इस तरह का कोई भी लक्षण नजर आए तो मरीज को अस्पताल में जरूर भर्ती करना चाहिए।
डेंगू फैलना शुरू!...
इन दिनों मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में डेंगू फैलना शुरू हो गया है। अब तक तकरीबन 5 माह में 15 मरीज़ डेंगू के मरीज सामने आ चुके हैं। वहीं इन्हें मिलाकर भोपाल में इस साल अब तक 34 मरीज़ हो चुके हैं।
इस पूरे मामले में सबसे खास बात यह है कि शहर में डेंगू के संक्रमण की यह स्थिति तब है जबकि ज़िला मलेरिया दफ़्तर 3 महीने से लगातार एंटी लार्वा सर्वे करा रहा है।
बच्चों को ज्यादा खतरा...
चाइल्ड स्पेशिलिस्ट डॉ. प्रतिभा के अनुसार बच्चों का इम्युन सिस्टम ज्यादा कमजोर होता है और वे खुले में ज्यादा रहते हैं इसलिए उनके प्रति सचेत होने की ज्यादा जरूरत है।
पैरंट्स इन बातों का रखें खास ध्यान...
पैरंट्स ध्यान दें कि बच्चे घर से बाहर पूरे कपड़े पहनकर जाएं। जहां खेलते हों, वहां आसपास गंदा पानी न जमा हो।
ऐसे करें बचाव....
वहीं स्कूल प्रशासन इस बात का ध्यान रखे कि स्कूलों में मच्छर न पनप पाएं। बहुत छोटे बच्चे खुलकर बीमारी के बारे में बता भी नहीं पाते इसलिए अगर बच्चा बहुत ज्यादा रो रहा हो, लगातार सोए जा रहा हो, बेचैन हो, उसे तेज बुखार हो, शरीर पर रैशेज हों, उलटी हो या इनमें से कोई भी लक्षण हो तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं।
बच्चों को डेंगू हो तो उन्हें अस्पताल में रखकर ही इलाज कराना चाहिए, क्योंकि बच्चों में प्लेटलेट्स जल्दी गिरते हैं और उनमें डीहाइड्रेशन (पानी की कमी) भी जल्दी होता है।
यहां है सबसे ज्यादा स्थिति गंभीर...
भोपाल के अशोका गार्डन, साकेत नगर,काज़ी कैंप,करोंद,शिवनगर की कॉलोनी, बड़वाई,पलासी,गोंडीपुरा,गोदरमऊ,गांधीनगर,कोलार और शाहपुरा में डेंगू का ख़तरा सबसे ज़्यादा है।
काटने से ऐसे करें बचाव...
- ऐसे कपड़े पहने, जिससे शरीर का ज्यादा-से-ज्यादा हिस्सा ढका रहे। खासकर बच्चों के लिए यह सावधानी बहुत जरूरी है। बच्चों को मलेरिया सीजन में निक्कर व टी-शर्ट न पहनाएं।
- बच्चों को मच्छर भगाने की क्रीम लगाएं।
- रात को सोते समय मच्छरदानी लगाएं।
2015 में भेजा था प्रस्ताव...
राज्य सरकार ने मच्छरों से बचाव के लिए 2015 में मेडिकेटेड मच्छरदानी ख़रीदने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था। 3 साल बाद अब केंद्र ने इसके लिए मंज़ूरी दी है।
ऐसे में जानकारों का मानना है कि यदि आज से ही मच्छरदानी ख़रीदनी शुरू भी दी जाएं, तो कम से कम 3 महीने उसे बांटने में लगेंगे। इसका मुख्य कारण जो बताया जाता है उसके अनुसार भोपाल के डेढ़ लाख और प्रदेश के करीब दो करोड़ लोगों का डोर टू डोर वेरिफिकेशन होना है। इस वेरिफिकेशन होने के बाद ही मच्छरदानी बांटी जाएंगी। एक मच्छरदानी 3 से 5 साल कर उपयोग में लायी जा सकती है।
वहीं यह बात भी सामने आ रही है कि जिन लोगों को मच्छरदानी दी जाना है उनका सर्वे शुरू कर दिया गया है। किस घर में कितने सदस्य हैं इसका सर्वे कराया जा रहा है, राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यालय ये काम करा रहा है। वहीं करीब तीन लाख से ज़्यादा लोगों को मच्छरदानी दी जाना है।
ये है इलाज...
- अगर मरीज को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका इलाज व देखभाल घर पर की जा सकती है।
- डॉक्टर की सलाह लेकर पैरासिटामोल (क्रोसिन आदि) ले सकते हैं।
- एस्प्रिन (डिस्प्रिन आदि) बिल्कुल न लें। इनसे प्लेटलेट्स कम हो सकते हैं।
- अगर बुखार 102 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा है तो मरीज के शरीर पर पानी की पट्टियां रखें।
- सामान्य रूप से खाना देना जारी रखें। बुखार की हालत में शरीर को और ज्यादा खाने की जरूरत होती है।
- मरीज को आराम करने दें।
एलोपैथी में इलाज...
इसकी दवाई लक्षण देखकर और प्लेटलेट्स का ब्लड टेस्ट कराने के बाद ही दी जाती है। लेकिन किसी भी तरह के डेंगू में मरीज के शरीर में पानी की कमी नहीं आने देनी चाहिए। उसे खूब पानी और बाकी तरल पदार्थ (नीबू पानी, छाछ, नारियल पानी आदि) पिलाएं ताकि ब्लड गाढ़ा न हो और जमे नहीं। साथ ही, मरीज को पूरा आराम करना चाहिए। आराम भी डेंगू की दवा ही है।
- इन बातों का रखें खास ख्याल...
डॉक्टरों के अनुसार इन दिनों बुखार होने पर सिर्फ पैरासिटामोल (क्रोसिन, कैलपोल आदि) लें। एस्प्रिन (डिस्प्रिन, इकोस्प्रिन) या एनॉलजेसिक (ब्रूफिन, कॉम्बिफ्लेम आदि) बिल्कुल न लें। क्योंकि अगर डेंगू है तो एस्प्रिन या ब्रूफिन आदि लेने से प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं और शरीर से ब्लीडिंग शुरू हो सकती है।
कई बार चौथे-पांचवें दिन बुखार कम होता है तो लगता है कि मरीज ठीक हो रहा है, जबकि ऐसे में अक्सर प्लेटलेट्स गिरने लगते हैं। बुखार कम होने के बाद भी एक-दो दिन में एक बार प्लेटलेट्स काउंट टेस्ट जरूर कराएं।
अगर किसी को डेंगू हो गया है तो उसे मच्छरदानी के अंदर रखें, ताकि मच्छर उसे काटकर दूसरों में बीमारी न फैलाएं।
ये बरतें एहतियात...
- ठंडा पानी न पीएं, मैदा और बासी खाना न खाएं।
- खाने में हल्दी, अजवाइन, अदरक, हींग का ज्यादा-से-ज्यादा इस्तेमाल करें।
- इस मौसम में पत्ते वाली सब्जियां, अरबी, फूलगोभी न खाएं।
- हल्का खाना खाएं, जो आसानी से पच सके।
- पूरी नींद लें, खूब पानी पीएं और पानी को उबालकर पीएं।
- मिर्च मसाले और तला हुआ खाना न खाएं, भूख से कम खाएं, पेट भर न खाएं।
- खूब पानी पीएं। छाछ, नारियल पानी, नीबू पानी आदि खूब पिएं।
आयुर्वेद में इलाज...
आयुर्वेद के डाक्टर राजकुमार के अनुसार आयुर्वेद में डेंगू की कोई पेटेंट दवा नहीं है। लेकिन डेंगू न हो, इसके लिए यह नुस्खा अपना सकते हैं।
एक कप पानी में एक चम्मच गिलोय का रस (अगर इसकी डंडी मिलती है तो चार इंच की डंडी लें। उस बेल से लें, जो नीम के पेड़ पर चढ़ी हो), दो काली मिर्च, तुलसी के पांच पत्ते और अदरक को मिलाकर पानी में उबालकर काढ़ा बनाए और 5 दिन तक लें। अगर चाहे तो इसमें थोड़ा-सा नमक और चीनी भी मिला सकते हैं। दिन में दो बार, सुबह नाश्ते के बाद और रात में डिनर से पहले लें।
ये हैं बचाव के तरीके...
- जहां तक हो सके पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें, ताकि मच्छर आपको नहीं काट सकें।
- बीमारी से बचने के लिए फिजिकली फिट, मेंटली स्ट्रॉन्ग और इमोशनली बैलेंस रहें।
- अच्छा खाएं, अच्छा पीएं और अच्छी नींद ले।
- नाक के अंदर की तरफ सरसों का तेल लगाकर रखें। इससे तेल की चिकनाहट बाहर से बैक्टीरिया को नाक के अंदर जाने से रोकती है।
- खाने में हल्दी का इस्तेमाल ज्यादा करें। सुबह आधा चम्मच हल्दी पानी के साथ या रात को आधा चम्मच हल्दी एक गिलास दूध या के साथ लें। लेकिन अगर आपको -नजला, जुकाम या कफ आदि है तो दूध न लें। तब आप हल्दी को पानी के साथ ले सकते हैं।
- आठ-दस तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर लें या तुलसी के 10 पत्तों को पौने गिलास पानी में उबालें, जब वह आधा रह जाए तब उस पानी को पीएं।
- विटामिन-सी से भरपूर चीजों का ज्यादा सेवन करें जैसे : एक दिन में दो आंवले, संतरे या मौसमी ले सकते हैं। यह हमारे इम्यून सिस्टम को सही रखता है।
ऐसे बचें डेंगू से...
डेंगू से बचने के दो ही उपाय हैं। एडीज मच्छरों को पैदा होने से रोकना। एडीज मच्छरों के काटने से बचाव करना।
इन मच्छरों को पैदा होने से रोकने के ये हैं उपाय...
- घर या ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें, गड्ढों को मिट्टी से भर दें, रुकी हुई नालियों को साफ करें।
- अगर पानी जमा होेने से रोकना मुमकिन नहीं है तो उसमें पेट्रोल या केरोसिन ऑयल डालें।
- रूम कूलरों, फूलदानों का सारा पानी हफ्ते में एक बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करें, उन्हें सुखाएं और फिर भरें। घर में टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें। अगर रखें तो उलटा करके रखें।
- डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, इसलिए पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें।
- अगर मुमकिन हो तो खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें।
- मच्छरों को भगाने और मारने के लिए मच्छरनाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॉइल्स आदि इस्तेमाल करें। गुग्गुल के धुएं से मच्छर भगाना अच्छा देसी उपाय है।
- घर के अंदर सभी जगहों में हफ्ते में एक बार मच्छरनाशक दवा का छिड़काव जरूर करें। यह दवाई फोटो-फ्रेम्स, पर्दों, कैलेंडरों आदि के पीछे और घर के स्टोर-रूम और सभी कोनों में जरूर छिड़कें।
दवाई छिड़कते वक्त अपने मुंह और नाक पर कोई कपड़ा जरूर बांधें। साथ ही, खाने-पीने की सभी चीजों को ढककर रखें।
वहीं कुछ जानकारों का यह भी मानना है डेंगू फिर अपना रूप बदल सकता है यानि ये ज्यादा एक्टिव हो सकता है। ऐसा होने पर वह अन्य मौसमों में भी क्रियाशील हो जाएगा। कुल मिलाकर कुछ अधिक तापमान में भी कार्य करता रहेगा। इसके लिए सबसे अच्छा है कि अपने आसपास कहीं भी पानी जमा ही न होने दें। यानि कैसे भी करके अपना बचाव करके रखें।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/2BItDCb
No comments:
Post a Comment