
भोपाल। लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कंाग्रेस पर भरोसा सिर्फ आदिवासी वर्ग ने जताया है। प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 21 पर कांग्रेस को बढ़त मिली है और उसमें से 13 आदिवासी अंचल की है। कांग्रेस सरकार ने भी आदिवासी वर्ग के इस सॉफ्ट कार्नर को भांपते हुए उन पर सौगातों की बौछार शुरू कर दी है।
चुनाव के ठीक बाद हुई पहली ही कैबिनेट बैठक में सरकार ने आदिवासी देव स्थलों को तीर्थ दर्शन योजना में शामिल करने के साथ ही इन देवस्थानों को संरक्षित कर पांचवी अनुसूचि में शामिल करने का निर्णय लिया है। कमलनाथ सरकार के अगले कैबिनेट विस्तार में कुछ नए आदिवासी चेहरों को शामिल किया जा सकता है।
विधानसभा चुनाव में आदिवासियों के लिए आरक्षित ४७ सीटों में से कांग्रेस ने ३१ पर जीत दर्ज की थी। १५ सीटें भाजपा के कब्जे में गईं थीं। एक पर निर्दलीय ने जीती थी। उधर, सामान्य १४८ सीटों में से ६६ कांग्रेस के खाते में आईं थीं। लोकसभा चुनाव में इन ६६ सीटों में से कांग्रेस महज सात सीटों पर बढ़त कायम रख सकी। ऐसा ही एससी की जीती १७ सीटों में से महज एक पर बढ़त मिली।
आदिवासी वोटों के दम पर जीते नकुलनाथ
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ की जीत आदिवासी वोटों के दम पर ही हुई है। नकुलनाथ को एसटी के लिए आरक्षित जुन्नारदेव और अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से ३२ हजार की बढ़त मिली थी। जो जीत का आधार बनी।
मंडला मेंं भी मिले आदिवासी वोट
कांग्रेस को छिंदवाड़ा की तरह मंडला लोकसभा क्षेत्र में भी आदिवासियों के बंपर वोट मिले। एसटी के लिए आरक्षित ६ विधानसभा क्षेत्रों में से कांग्रेस ने पांच पर बढ़त बनाई। लेकिन, फग्गन सिंह कुलस्ते के गृह नगर मंडला, केवलारी और गोटेगांव में बड़ा झटका लगने से कांग्रेस यह सीट हार गई।
31 विधायक लेकिन मंत्री सिर्फ चार
विधानसभा में कांग्रेस के खाते के 114 विधायकों में 31 आदिवासी हैं। यानी कि कांग्रेस विधायक दल में २७ प्रतिशत विधायक हैं। उसके बाद भी कमलनाथ मंत्रिमंडल के 28 सदस्यों में सिर्फ 14 फीसदी यानी 4 विधायकों को ही मंत्री बनने का मौका मिला है। इसकी तुलना में एससी वर्ग सिर्फ १७ विधायकों में से छह मंत्री हैं जबकि सामान्य और ओबीसी वर्ग के ६६ विधायकों में से१८ को मंत्री बनाया गया था। सूत्रों के मुताबिक आदिवासी वोट बैंक बरकरार रखने के लिए कांग्रेस के अगले मंत्रिमंडल विस्तार में इस वर्ग को प्राथमिकता देने की तैयारी है।
आदिवासी एजेंडे को आगे बढ़ाएगी सरकार
चुनाव में बड़े नुकसान के बाद भी कमलनाथ सरकार की आदिवासियों से उम्मीद बरकरार है। सरकार अब आदिवासी एजेंडे को और धार देगी। सरकार ने वन भूमि के पट्टों पर भी तेजी से काम करने के संकेत दिए हैं। वन कानून के तहत आदिवासियों पर दर्ज मुकदमों की पहले से ही समीक्षा जारी है।
झाबुआ पर नजर
आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित झाबुआ सीट के भाजपा विधायक जीएस डामौर के सांसद चुने जाने के बाद यहां जल्द उपचुनाव होना है। बहुमत के अंकगणित में सिर्फ दो सीटों से दूर कांग्रेस इस सीट को जीतने के लिए भी आदिवासी वोटरों को लुभाने का काम आने वाले दिनों में करेगी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया को झाबुआ विधानसभा क्षेत्र से आठ हजार की लीड मिली थी, इससे भी कांग्रेस उपचुनाव को लेकर आशावान है।
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